मरघट | Margath

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
297
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मरघट ११
निंदा सुने | उसने देशभक्त को रोककर कहा--“दिव मैया! मैने तो
सुना दै कि कांग्रेस तो जापानियों के मारत में घुस श्राने पर उनका
विरोध श्रहिसात्मक सत्वागरह करके करने को तेयार है ।”
“हाँ, मतमेदवाली बात तो मेरी भी समझ में नहीं आती।
कप्रेमवालों का ता इस देश में कोई विरोध नहीं करता १ देव भैया ।”
निर्मत्षा ने भी अमर की बात पर सही देकर श्रपने बढे भाई देवकुमार
को हराना चाहा |
नवधारा गाँव के मुखिया सरदार तेजसिह की तीसरी युवा पत्ञी
है, और वह सभी से बोलती-क्तलाती श्रोर गाँव की भाभी है।
बह भी एक फवती कसने का यह मोका हाथ से वर्यों जाने देती |
बोल उठी--'प्रात यह है कि जब तक लाला अपना कोई नया
ऊंट न छोड़ें, तव तक यह केसे म लूम हो कि हम भी कॉलेज में
पढ़े हैं |? वह हँही श्रोर सब-की-सब ठठाकर हँस पडीं। श्रमर
के श्रोठ भी फड़क उठे, क्योंकि इधर-उधर की बातों से उसका भी
जी ऊछ हलका हो गया था | देशभक्त भी मुस्किराए |
४ हसी करने का भाभी का पद है, लेकिन सच बात यह है
कि विना बाहरी मदद के कोई गुलाम देश सस,र के इतिहास मे आज
तकर ग्राजाद नहीं हुश्रा | ऐस मौके पर, जब कि अगरेजी साम्राय्य
की नीव डगमगा रही है, हर्में उस पर दो-चबार लाते मारकर गिरा
देने की जरूपत हे | देश के भीतर श्रोर देश के बाहर, समी तरफ
में गगीबी, भूव, रोग और गुलामी से ज्जर मारत को श्रपने कोपते
हुए हार्था में तलगरे पकंडनी होंगी, ओर एफ बार उसे अपनी
दानता का जुदा जोर लगाकर कथे मे सदा के लिये ठतार फेकना
हगा | यात्रीजी का व्यक्तिगत सत्याग्रर-आदोलन शिश्चलि हो चुका है,
प्रोर देश के बडे-पटे नेता गिग्पतार हो चुके हैं | वे जेला में पे सड़
रे हूँ | तुना है कि सुभाष बावू फरार होकर जापान पहुँच गए. हैं,
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