काल के पंख | Kaal Ke Pankh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
259
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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संस्यूकसफा बेटां १५
वटो, सनौ,” चन््रसुमने चादर उतारकर परसिवारिककरे हाथमे देते
ए कटा, ध्थूनानी पुष्प कैसा कणा `
“ऐसा कि उसके आलेसे यहाँक़ी सारी वाटिकाके फूल खिलखिन्ग
करम रटे ই? হারল হর कहा ।
“खिलखिला कर हँस रहे हैं! अर्थात् यूनानी पुष्प सभीको बहुत
अधिके मायी दै
“इतना अधिक कि इँसले हँसते सभी प्रष्पोंकी पंस्ड़िया मेड़ी जा
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“ओह ! पंखडियां झड़ी जा रही हैं| परन्ध यह इलेप इन नहीं
सभक । नुम कृद गर्भीर वात कहना चाहती हो, रानी ?
पांभीर तो अब कुछ नी नहीं रहा। रेसशा लगता
मृ & और साय रनिवास उसके लाथ मृग्य धन गया
वडिनती है और हम सव जन्मजात जड र
अर्थात् ¢ चऋखगुततने आश्रर्नंस पूछा
“তান সু হি राजमहलकी प्रत्येक सर्वादा भंग हा रही हैं| किसीकी
सम्पता, शालीनता, नीति-निबमका ध्यान नहीं | रानियों और दासियाँ एक
ही एक्तिमें खड़ी होकर दास्थालाप कर रही हे और बह यूनानी छोकरी
समती है व भैत्पूकम सेनापतिकर वेदी नदी हे, उषारके विधति
की बेटी है !!
“ओह | माल्म होता है मामला अनुमानसे भी अधिक गंभीर है,”
न््रयुतन कहा । फिर उसने हेलेनक्री सभी दृस्कतीका पू चिट॒ठा मुना
सुनकर #सते हए कह, “सुनो, रानी, तुम संमवतः नदी जनता कि हैमनं
बह गजनीतिक विवाह किया है | शघुनें हमसे मेत्री स्थापित करनके लिए
हमारे रक्से अपने स्तक संदेध जोड़ना चाहा और राजनीतिक इसे हम
इसकार नहीं कर सके । अन्यथा उस यूनानी रामकम्यास हम कष माहं
नहीं था | तुम जानती हो तुम दम सवस प्रिय हो | उसके साथ हमारा
कि या तो बहन
| या फिर बह
| ५
৬.
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হর
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