राजनीति विज्ञान के मूल सिद्धान्त | Rajaneeti Vigyan Ke Mool Siddhant
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
582
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रमेश चन्द्र शर्मा - Ramesh Chandra Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कः #
घातो का अथ्ययन किया जाता है अर्थात उसकी वियय-्सामग्री क्था है ? परन्तु इसको
पविपय-सामग्री के सस्तरन्ध से राजनीति विज्ञान के विच/रक एकमत नहीं हैं । जिस
अशार राजनीति विज्ञान की परिभाषा के सम्बन्ध मे विभिन्न विचारकों ने भिन्न भिन्न
विचार प्रकट शि है, उसी प्रकार उमके | क्षेत के सम्बन्ध में भी उन्होंने अलग अलग
विचार व्यक्त कपि) राजनीति विज्ञान के क्षेत्र का अध्ययन मुख्य हूप से दो
इष्टिकोशों के आधार पर किया जा प्लकता है. प्रयम, परम्परागत हृष्टिकोण तथा
द्वितीय, आधुनिक दृष्टिकोण १
राजनीति विज्ञान के क्षेत्र के सम्बन्ध मे परम्पराणन दृष्टिकोण,
परम्परागद दृष्टिकोण के अन्तर्गत राजनीति विज्ञान के क्षेत्र के सम्बन्ध मे
कुछ प्रमुख विचारकों के विचार इस प्रकार हैं
प्रमिद्ध विद्वान डा० गामेर के अनुसार, राजतीति विज्ञान के क्षेत्र मे तौन बातें
शामिल हैं 1 ५
(1) राज्य की उर्त्पत्ति एव उसकी प्रह्नति के सम्बन्ध भे खोज करना,
(2) राजनीतिक सस्वाओ की प्रकृति उनके इतिहास तथा उतके विभिन्न
रूपो का अध्ययन कूरना भौर वि
(3) इस अध्ययन के आधार पर जहाँ तक सम्भव हो सके, राजनीतिक
प्रगलि और विकास के नियमो का निर्धारण करना ६
प्रो० गेटेल ने भो राजनीति विज्ञान के क्षेत्र मे तीत बातों को सम्मिलित
किया है ৫
(1) राज्य वी उत्तत्ति, राजनीतिक मस्याओ एवं सिद्धान्तों के विकास को
अध्ययन करना,
12) वर्तमात राजतीतिक मसस्थाजों तथा बिचारधाराओं का वर्णन, उनकी
तुलना तथा वर्ीकिरण करते का प्रयत्न करना एवे
(3) भविष्य की हर्ट से राज्य के आदश स्वरूप वा निश्चय करना ।
सिजविक (5102५1८६) ने राजनीति विज्ञान के क्षेत्र मे दो बातो को शामिल
किया है--थ्रथम वे समस्याएँ जिनका सम्बन्ध राज्य के सगठन से है, तथा द्वितीय,
थे समस्याएं जिनका सम्बन्ध राज्य के कार्यो से हे ।
फ्रेडरिक पोलक ने राजनीति विज्ञान के क्षेत्र को दो भागों मे विभाजित किया
है--सैद्वान्तिक राजनीति ठथा ब्थावहारिक राजनीति!
संद्धान्तिक राजनीति में राज्य के सिद्धान्त, शासन के सिद्धान्त, विधि सिद्धान्त
तथा राज्य के कानूती सिद्धान्त पर जिंचार किया जाता है और व्यावहारिफ राजनीति
में राज्य व सरकार की वाल्नविक प्रणाली, प्रशासन, विधि निर्माण प्रणाली, न्यायालय,
1 गानेर; राज्य विज्ञान और शासन, पृष्ठ 6 1
२ एच्यणा. एगत्वों ऊँचाक्षाल्ट, 9 4
User Reviews
No Reviews | Add Yours...