पउमचरिउ भाग 2 | Paumachriu Bhag 2

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Paumachriu Bhag 2 by देवेन्द्र कुमार जैन - Devendra Kumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ष पडमथरिड चत्ता तो वोहिजइ दसरहेंग “दुरयर-णिवारिय-रवियरहेँ । रहु वाहेंवि तहिँ णेहि पियएँ धय-दत्तहं जेत्यु णिरन्तरईँ ॥ ६ ॥ [ক] ते णिसुणवि परिओोसिय-जणएं । वाहिउ रहबरु पिहुसिरि-तणएं 1 १ 1) तेण वि सरहिं परज्िड साहणु 1 भगु स-हेमप्पहु हरिवादणु ।॥ २ ॥ परिणिय क्कइ दिण्णु महा-वरु ॥ चवइ अउज्मापुर - परमेसरु॥ ६ ॥ अुन्‍्दीरे मग्यु मग्यु जे रुचदों । सुहमइ-सुयएऐँ णर्वेष्पिणु दुछद।॥ ४ ॥ (देण्णु देव पईँ मग्गमि जइयहूँ । णियय-सच्चु पाछिजजइ तहयहेुँ”।| ५ ॥ एम चमन्तद्रै घण-कण-संकुल । थियहूँ थे वि छुरें कडतुफमड्ल 11 ६ ॥॥ चहु ~ वासरं अरउज् पदं 1 सद-वासव दव रने वदद ॥ ७॥ सयक-कला - कछाव ~ संपण्णा 1 तताम चयारि दुत्त उप्पण्णा ॥ म ॥ घत्ता रामचन्दु अपरजियदें सोमित्ति सुमित्तिहँ एक्कुं जणु । भरहु घरन्थरु केंकइहें सुप्पददें पुत्त पुणु सत्तदण ॥ ३ 11 {+ 1 णय चयारि पुच् तदो रायहों। णाईँ सद्दा- समुह महि-भायहोँ 11 १ ७ णाईं दुन्‍त गिव्याण - गइन्‍्द॒हों। णाईं मणोरद सजण-बिन्दहों॥ २७ जणड वि मिहिखा-णयरं पदद्रड 1 समड विदेहः रने गिविदटटर ५३.11 वाँ विहि मि वर-विकम-वौयड १ भामण्डलु उष्पण्णु स-सीयड ॥ ४! पुन्व-चइरू संभरेंवि अ - खेवें | दादिण सेढि दरेंवि णिड देवें 1 ७ 0 तहिं रदणेडरचदवार - पुरे । वहल-धवल-छुद्द - पह्मापण्डरें ॥ ६ ॥ खन्दगइहें चन्दर - बयणहों । णन्दणवण-समी्ये तदोँ सयणदों 11 ७ धत्तिड पिन्नलेण.. अमरिन्दें । पुष्फवइहं अज्लविड णरिन्दें 1 ८1




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