शरारत | Shararat

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Shararat by शौंकत थानवी - Shaukat Thanvi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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শা ७ „ १ ४ 'भेरा कुछ भी खयाल है तो श्रापको करनी होगी दूसरी शादी ।” ग्रे निकाल कर बोले, “क्या वाक्त कुछ सर फिर गया. है या झ्राज कुछ पी ली है। ्रजी वेगम साहबा, हँसी-ट्ट्टा नहीं है सौत के साथ वसर करना । और मेरी चेंदिया में भी इतने वाल नहीं है कि दो जोरुप्रों का इकलौता शौहर वनकर रहें । दूसरे मुकको ऐसी प्यारी- प्यारी वूटासी बीवी के होते हुए शादी करने की आखिर ऐसी ज़रूरत ही क्‍या है ? ज़्यादा-से-ज्यादा यही ना कि औलाद न होगी ॥ अजी हम बिल्ली का बच्चा पाल लेंगे, छुत्ते का पिल्‍ला ले आयेंगे श्रापका - अ्ररमात निकालने को, या किसी को आप गोद ले लीजिये और सष दिल के अरमान निकालिये । मैंने कहा, “तो ग्राखिर मुभको इतनी तवालत की जरूरत ही बया है।भ्गरखुद मे रेयहॉ बच्चा न हो सके तो मैं किसी के श्रागेहाय फैलाऊँ ।* कहने लगे, “अगर श्रापके यहाँ हो सकता है तो फिर मरी क्‍यों जाती हैं श्रारज़ू के मारे ?” मैंने कहा, “हाँ, मगर इसी तरह की श्राप दूसरी शादी कर लें।” कहने लगे, “लेकिन श्रगर मेरी दूसरी बीवी से बच्चा हुआ तो वह आपका कैसे हो सकता है ?” मैंने कहा, “हो कंसे नहीं सकता ? क्या वह श्रपने घर से लायेगी ? होगा तो मेरे ही शौहर का यानी मेरा | हाँ यह वात है कि उसकी भाएँ दो होंगी--वह भी और में भरी । चल्कि मैं ही उसको अपने पास रखंगी और मुझ ही को अपनी माँ समभेगा `` हँसकर बोले, “रज्ज़ो, तुम सख्त क्विस्‍्म की बेवक़ूफ़ लोंडिया हो ॥ सोतेली ओऔलाद के लिए इस क्रिस्म की तववक़ो (श्राशा)? श्रास्तीन के साँप से वफ़ा की उम्मीद ? मालूम भी है कि सौतेली श्रौलाद श्रापको घन-चक्कर बना देगी ।” मैंते कहा, “आपकी बला से । आपको मालूम नहीं है कि ताली दीनों हाथ से वजती है। अगर मैंने श्रपना वर्ताव श्रच्छा रखा तो सब




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