भारत और पाकिस्तान का आर्थिक और वाणिज्य भूगोल | Bharat Aur Pakistan Ka Artik Aur Vanijya Bhugol
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
48 MB
कुल पष्ठ :
358
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
अमर नाथ कपूर - Amar Nath Kapoor
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ए. दास गुप्ता - A. Das Gupta
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० भारत व पाकिस्तान को आ्िक व.वाणिज्य भूगोल
को भौगोलिक व प्राक्ेतिक सुविधायें प्राप्त हें। भूमि उपजाऊ है और जेलवांयु अति उत्तम
इसलिये खेती का धंधा बड़ी आसानी से हो सकता है । नदियों में सदेव जल भरे रहने से
सिंचाई की भी सुविधा है और खनिज पदार्थों की उपस्थिति होने से शिल्प उद्योग की
सुविधायें भी प्राप्त हें। मैदान सपाट है और इसलिये रेल व सड़कों तथा अन्य यातायात
के साधनों को आसानी से बनाया जा सकता है। यही कारण है कि भारत का सबसे उन्नत
व समृद्ध प्रदेश यही मेदानी भाग है। यहां पर नगरों की बहुलता, जनसंख्या का घनत्व और
उद्योग धंघों की उन्नति इस समृद्धि की द्योतक अवस्थायें हें । চা
ब्रह्मपुत्र-गंगा के मेदान में वर्षा अधिक होती हैं और इसीलिये लोगों का मुख्य धंधा
खेती हं । इस मैदान में भारत की कुल जनसंख्या के ४० प्रतिशत से भी अधिक लोग निवास
करते हैं । गंगाःके पश्चिम का मैदान बहुत कुछ शुष्क है और इसीलिये सिंचाई की सहायता
से खेती होती है । इस पश्चिम्ली प्रदेश को हम सतलहूज का मैदान कह सकते हें। यहां देश
की कुछ जनसंख्या के केवल १० प्रतिशत लोग निवास करते ই परन्तु यहां नहरों का एक
जाल-सा बिछा हुआ है । सतह्ृज के इस मैदान के दक्षिण में राजस्थान का शुष्क मरुस्थली
प्रदेश है। परन्तु इस भाग को भी सिंचाई की नई योजनाओं के द्वारा समृद्ध बनाने का प्रयत्न
किया जा रहा है ।
३. दक्षिणी प्रायद्वीप--दक्षिण का प्रायद्वीप एक पठार है और उष्णकटिबंन्ध में
स्थित है । इसके उत्तर में कर्क रेखा और दक्षिण में विषुवत् रेखा गुजरती है । यह् पठार एक
अति प्राचीन पठारी प्रदेश गोंडवानालेंड का अवशेष है और कड़ी रवेदार चट्टानों का बना
हुआ है । इसी प्रकार के पठार अफ्रोका, अरब, दक्षिणी अमरीका और आस्ट्रेलिया में भी
पाये जाते हू । अतः यह् स्पष्ट हौ कि एक समय यह सब भाग मिले हुए थे। इन सभी प्रदेशों
की बनावट भी एक सी है । इस प्रदेश की उच्च श्रेणियों के शिखर सपाट हैं घाटियां गहरी
व सीधी हे, ऊंचाई में सीढ़ीदार विभिन्नता पाई जाती है और जोड़ या दरारों के स्थानों
पर कावा जमा हुमा मिलता है । | (4
दक्षिण का यह प्रायद्वीप तीन ओर पहाड़ी श्रेणियों से घिरा हुआ है । उत्तर में
विन्ध्याचल मौर सतपुडा की श्रेणियां हें जिनमें मालवा व अरावली के पठार सम्मिलित है।
पश्चिम में पश्चिमी घाट और पूर्व में पूर्वी घाट की श्रेणियां फैली हृई हे । विन्ध्याचल ओर
सतपुड़ा की श्रेणियां तो पर्चिम से पूर्व की ओर फैली हुई हैं परन्तु पूर्वी व परिचमी घाट
उत्तर से दक्षिण की ओर फैले हे। पूर्वी घाट के पूर्व की ओर और परि्चिमी घाट के परिचम की
ओर तटीय मैदान है । परिचिम के तटीय मैदान को उत्तर में कोनकन और दक्षिण में माला-
वार कहते हैं। पूर्वी तटीय मैदान को कोरो मंडल प्रदेश कहते हे ।.परिचमी तटीय प्रदेश
की अपेक्षा पूर्वी तटीय प्रदेशा अधिक चौड़ा ই। 7... ०८
पश्चिमी घाट--भारत के मालाबार तट के चमानान्तर उत्तर से दक्षिण में कुमारी
अन्तरीप तक १००० मील हरूम्बे है। इस श्रेणी और अरब सागर तट के बीच का मैदान
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