संयुक्त प्रान्त की विभूतियाँ | Sanyukt Prant Ki Vibhutiya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about परिपूर्नानंद वर्म्मा - Paripurnanand Varmma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पं० अयोध्यानाथ
गणित-ज्योतिष के विश्वविख्यात आचार्य अपूव शादी की
ज्ञीवनी के पाठक को अब हम फलित-अ्योंतिष के भारत-विखूयात विद्वान
की जीवनी बतढावेंगे। भारत ज्योतिष-विद्या में संसार का प्रधान
है और उसकी इस प्रधानता के परतिपादकों में स्वर्गीय प॑० अयोध्यानाथ
शर्म्मा का नाम उल्लेखनीय है। अनधिकारी ओर कच्चे ज्योतिषियों
फे हाथ मरं पड़ कर आजकल ज्योतिष-विद्या काफ़ी बदनाम ओर
अविश्वास की बस्तु दो रही दै । किन्तु, দত अयोध्यानाथ देसे कच्च
और साधारण ज्योतिषियों में से न थे। बापूदेव के प्रधान शिष्य
पं० सुधाकर द्वििदी ने अपने प्रसिद्ध मन्थ “गणक तरंगिणी” में भी
पं७ अयोध्यानाथ की बिद्धत्ता की महत् प्रशंसा की है।
शर्म्मा जी के पिता पं० श्यामाचरण ज़िपाठी बड़े विद्वान और
सुबिज्ञ ज्योतिषी थे। वे बड़े सरछ स्वभाव के, छोकप्रिय नागरिक थे
ओर बनारस के इेश्वरगंगी ( नई बस्ती ) नाम्रक अुहल्ले में रहते थे ।
ज्योतिष पढ़ाने के लिये इन्होंने अपनी एक पाठशाला स्थापित की थी जहाँ
बीस वर्ष से अधिक तक ये ३ बजे सुबह से १५ बच्चे दिन तक निःशुल्क
विद्या-दान करते थे । यही नहीं, विद्यार्थी के रहने ओर खाने-पीने का ख़च्चे
भी स्व॒र्य दिया करते थे | विद्या-दान के साथ घन-दान का ऐसा व्यसन
था कि इनके पास जो कुछ था, वह अपने शिष्यों में ही बॉँट दिया।
संयुक्तप्रास्त का काशी नगर ही भारत में छुप्त-प्राय होते हुए ज्योतिष
तथा संस्क्ृद-साहित्य के उद्धार में समर्थ हुआ है... और वह भी
पं० बापूदेव ओर पं० श्यासाचरण त्रिपाठी ऐसे बिद्दानों के कारण |
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