छीतस्वामी | Cheetswamee

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Cheetswamee by ब्रजभूषण शर्मा - Brajbhushan Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९ ऊँ वर्मा द्वारा परिप्रेषित ' ब्रजभाषा * नामक अन्थ अभी छु समय पूर्वं सुभे पराप्त हन्ना था | उक्त भरन्थ में ब्रजभाषा ऊ त्वन्त विद्धाचू वर्मजीने धीर गंभीर व्यापक दृष्टि से त्रजमाषा-व्याकरण की एक रूपरेखा प्रस्तुत की है- जो अधिकांश व्यापक है | उसमें शब्दों क्षौर मातन्नाओं के अधिकांश प्रचलित सभी रूपों को स्वीकार कर एुक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है- जो स्तुत्य हे । घजमाषा के व्यापक विस्वघार को देखते हुए, उसमें किसी एकपत्तीय सिद्धान्त को ल्ादना उचित भी नहीं हू | ब्रज के शब्दों का रूप जहाँ शुद्ध त्रजीय उच्चारण पर अवरंबित है, बहा अवधी, कन्नीजी ब्ुदेलखंडी एवं राजस्थानी क्षादि प्रान्तीय उच्चारणों का भी उप्त पर पर्याप्त प्रभाव ই জন: प्रचलित, प्राचीन, विभिन्न, हस्तलिखित प्रतियों की उपेक्षा कर उसका एक- देशीय रूप निधोरित कर लेना जहां सहसा दुःसाहस दै-वहां लक्च-रक्ष जनों की व्यावहारिक साहित्यिक भाषा के साथ महान्‌ न्याय भी। काँकरोली, नाथद्वारा, कामवन भादि प्रज-साहित्य के प्राचीन संप्रहालयों में विद्यमान, विश्विज्, हस्तलिखित पोधियों में>जिन्हें हम लिपि की दृष्टि से शुद्ध और प्रामाणिक स्त्रीकारते हैं- प्रजभाषा के शब्द एक समान छिपि में ही लिखित नहीं मिलते |. मित्रवर पे. श्रीजवाहरछाछजी चतुर्वेदी ( मथुरा ) द्वारा सम्पादित * संपादित सूरप्तागर ! के दोष ` नामक पुस्तकिका कुछ दिन पूर्व इृष्टिगोचर हुईं थी। सूरक्ृत जन्म-वधाई का ` एक पदु पदुकर वहसः व्रजभाषा के सम्बन्ध में विच्चार-निमग्न दहो जाना पड़ा । । * परामशे-समिति * में द्विन्दी के ब्ध प्रतिष्ठ प्रायः समी विद्वानों का, नौर विशेष कर विद्या- विभागीय प्रकाशन ऊ अन्यतम . माननीयः सम्पादक गो. श्रीव्रजभूषणकाल्जी मद्दाराज्ञ का माम देखकर तो मद्दान आश्चर्य हुआ है। अन्य विद्वानों की बात तो में नहीं कहता, पर उक्त महाराजश्री का परामशे ' सूरसागर ! के विशाल प्रकाशन के सम्बन्ध में है, न कि उसके उदाहंत सम्पादन ( शब्दों के रूप निर्धारण सम्बन्ध ) में ्षपनाई गई प्रणाली के किये । वे बाचनिक पर्व व्यावहारिक दोनों में भिन्नता के पक्ष पाती नहीं है। भष्टद्धाप-साहित्य के सम्बन्ध में ( ज्ञो-विद्याविभाग काकरोली से प्रकाशित हुआ है )- उन्होंने भी एक- मत, च्यापक, व्यावहारिक शेल्ली अपनाकर सम्पादन सें विशिष्ट स्दयोग दिया २




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