महादेव गोविन्द रानडे | Mahaadev Govinda Raanade

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Book Image : महादेव गोविन्द रानडे  - Mahaadev Govinda Raanade

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) करते थे जे। अपना पढ़ना जारी रखते थे और जिनको नीचै की श्रेणी में पढ़ाना भी पड़ता था। फेल्ञलो लागों का कुछ मासिक वेतन मिलता था । पेशवा सरकार ने संस्कृत के पंडितों श्रार अन्य विद्वानों के सहायताथे कुछ धन अलग कर दिया था। उसी धन से अँग- रजी राज्य में फेज्नो लोगों की सहायता होने लगी | रानडे भी मैट्रीक्यूलेशन परीक्षा पास करने के उपरांत जूनियर दक्षिणा फलो चुनें गए और इनका ६०) मासिक मिलने लगा । तीन वपं पीछे ये सीनियर दक्षिणा फेला १२०) मासिक पर नियुक्त किए गए और तीन वष तक इस पद पर रहे। सन्‌ १८६१ में इन्हेंने लिट्ल-गो की परीक्षा और १८६२ में बी० ए० की परीक्षा पास की | बी० ए० आनसे की परीक्षा भी इन्होंने उसी बष इतिहास और अथेशाखत्र में दी और बड़ी योग्यता से प्रश्नों का उत्तर दिया | इसका पास करने के लिये इनको एक स्वणे- पदक ओर २० ०) की पुस्तक पारितोपिक में मिलों। इसके अतिरिक्त कालेज के प्रिंसिपल, अध्यापकों और विद्याथियों ने मिलकर इनका ३००) की एक सोने की घड़ी दी। उस समय आनसे की परीक्षा में केवल पाख्य पुस्तकों ही से प्रश्न नहीं पूछे जाते थे, बल्कि इस प्रकार के प्रश्न भी आते थे कि जिनसे विद्यार्थी की बुद्धि और गवेषणा की जाँच हा। तीन घंटे के अंदर विद्या््यों को प्रश्नों के उत्तर देने पड़ते थे श्रेर चार दिन तक परीक्षा होती थी। पढ़ी हुई साधारण बातों का ही तीन




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