प्रार्थना प्रवचन भाग - 1 | Prarthana Pravachan Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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र प्राथना-प्रवचन जानेवाली बात हम नहीं सनना चाहते हों तो हमें उठकर चले जाना चाहिए । चीखने-चिल्लानेकी जरूरत नहीं हे । फिर यह तो धर्मको बात हं । धर्म-चर्चाकी बात छोड़ो, यह तो प्रार्थना भी नहीं करने देना चाहता ! इस तरह एक लड़केको प्राथनामें दखल नहीं देना चाहिए एेसी बातोसे कृ फायदा नहीं निकल सकता। पंजाबमें जो लोग मर गए उनमेंसे एक भी वापस आनेंवाला नहीं है। अंतमें तो हम सबको भी वहींपर जाना हैं। यह ठीक है कि उनको कत्ल किया गया और वे मर गए; पर दूसरा कोई हेजेसे मर जाता है या और किसी तरहसे मरता है । जो पैदा होगा वह मरेगाही।र्पदा होनेमें तो किसी अंशमें मनृष्यका हाथ है भी; पर मरनेमें सिवाय ईश्वरके किसीका हाथ नहीं होता । मौत किसी भी तरह टाली नहीं जा सकती । वह तो हमारी साथी है, हमारी मित्र हे। अ्रगर मरनेवाले बहा- दुरीसे मरे हे तो उन्होंने कुछ खोया नहीं, कमाया है । लेकिन जिन लोगोंने हत्या की उनका क्या करना चाहिए, यह बड़ा सवाल हं । बात ठीक है कि ग्रादमीसे भूल हो जाती है । इंसान तो भूलोकी पोटली हं; लेकिन हमे उन भूलोको धोना चाहिए । खुदा हमारे कामको नहीं भूलेगा । जब हम उसके यहां जायेंगे, वह हमारा हृदय देखेगा। वह हमारे हृदयको जानता ह्‌ । अगर हमारा हृदय बदल गया तो वह सब भूलोको माफ करदेगा। पंजाबमें बहुतसे मित्र हैं, जो अपनेको मेरे भकक्‍त भी बताते है । पर में कौन हूं कि वे सेरे भक्त कहलाएं ! उन सब मित्रोंका श्राग्रह है कि जब में दिल्‍ली तक आ गया हुं तो कम-से-कम एक रातको पंजाब भी जाऊ, जिससे वहां लोगोको कृ तसल्ली मिले । हवाई जहाजसे जाने- में तो कुछ ही घंटे लगेगे। लेकिन मे किसीके कहनेपर कंसे जाऊं? में तो ईश्वरके कहनेपर, ईश्वर नहीं तो अपने हृदयके कहनेपर ही वहां जाऊंगा। नोझ्राखाली में किसीके बुलानेपर नहीं गया था। मेंने यहांसे जाते समय ही कहा था कि मेरा हृदय मुझे वहां जानेको कह रहा है। बिहारमें भी बहुत समय तक लोग मुभे बुलाते रहे; पर में किसीके बुलाने- पर वहां नहीं गया । जब डाक्टर महम्‌द साहबने लिखा कि तुम झा जाओो तभी हमारा दिल साफ हो सकेगा तो में विहार चला गया।




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