आर्थिक पत्रकारिता | Aarthik Patrakarita
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)4 आर्थिक ८त्रकराडिता
आर्थिक पत्रकारिता की विकास-यात्रा का सीधा सम्बन्ध ओद्योगिक क्रांति-काल
से रहा है। सन 1750 के बाद का दौर ब्रिटेन का औद्योगिक क्रति का दौर था,
जिसके दौरान उत्पादन की तकनीक में आमूल परिवर्तन आया। सन् 1600 से 1750
के नीच ईस्ट इण्डिया कम्पनी सहित ब्रिटिश कम्पनियों ने अंग्रेजों को अकूत पूंजी
का मालिक बना दिया। अंग्रेजी बाजारों में धन का प्रवाह काफी बढ़ गया। औद्योगिक
क्राति ने कम्पनियों को जमीन सै उठाकर आसमान पर् बैठा दिया। 18नी, 1 नी
और 20वीं शताब्दी के दौर में पूरी दुनिया में व्यापारिक गतिविधियाँ काफी तेज
गति से बढ़ीं और यह सिलसिला आज भी जारी है। इन आर्थिक और व्यापारिक
गतिविधियों को बढ़ाने में जनसचार माध्यमों ने सार्थक भूमिका अदा की है। पत्र,
पत्रिकाओं, रेडियो, फिल्मों, टेलीविजन के विभिन्न चैनलो पर प्रसारित होने वाले
स्वतंत्र कार्यक्रमों से सूचना-विस्फोट' की स्थिति पैदा हो गयी है। आज “इण्टानेट
की नयी प्रणाली से पूरी दुनिया की व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियों से सम्बन्धित
सुचनाएँ तीन करोड़ से अधिक विविध' क्षमता वाले कष्प्यूटरों से ज़ुड गयी हैं, जो
पल-प्रतिपल विश्व की ताजा आर्थिक और व्यापारिक सूचनाएँ क्षणभर में उपलब्ध
कस देते हैं।
संसार के विभिन्न देशो ये परस्पर बढ़ रहे आर्थिक सम्बन्धों और उद्योग-व्यापार
में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना के कारण आर्थिक पत्रकारिता का महत्व भीं कंटृता
जा रहा है। अर्थप्रधान आधुनिक युग में व्यावसायिक और आर्थिक समाचारो के
प्रति पाठकों की अभिरुचि भी निरंतर बढ़ती जा रही है। इसी परिप्रेक्ष्य मे यदि हम
अतीत की ओर देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत में आर्थिक पत्रकारिता
का इतिहास उतना ही पुराना है जितना पत्रकारिता का इतिहास। भारत का पहला
समाचारपत्र 29 अनवरी, 1780 को कलकत्ता से प्रकाशित हुआ जिसका नाम “बंगाल
गजट फ कैलकटा जेनरल एडवरटाइजर' था। इस पत्र को जेम्स आगस्ट हिक्की
ने निकाला था ` इसलिए इसे लोग “हिक्की गजट के नाम से अधिक जानते है।
वस्तुत्तः इस समार्चापत्र म व्यापारिक सूचनार्दँ ओर विज्ञापन आदि अधिक प्रकाशित
छोते थे जो 'इसे व्यापारिक पत्र सिद्ध करते है स्वयं हिक्की मे भी इस समाचार्पत्र
के प्रकाशन के बारे में दिये गये अपने वक्तव्य में यह' स्वीकार किया था कि यह
पत्र एक व्यापारिक और राजनीतिक समाचारपत्र है, जो सबके लिए खुला है परन्तु
प्रभावित किसी से नहीं है। भारत में पत्रकारिता के प्रारम्भिक काल से ही आर्थिक
समाचारों या व्यापारिक गत्तिविधियों तथा उससे जुड़ी सूचनाओं को जो महत्व दिया
गया उसका सिलसिला आज तक जारी है। अब तो बिना आर्थिक समाचारों के
किसी भी समाचारफत्र की पूर्णता की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। आर्थिक
पत्रकारिता की विकास-यात्रा इसके विभिन्न आयामों को उदघाटित कस्ती हैं। प्रिण्ट
मीडिया के अन्तर्गत जहाँ राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचारत्रों में आर्थिक समाचारों के
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