काव्यलोक | Kavyalok

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kavyalok by हरिप्रसाद कृत - Hariprasad Krat

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हरिप्रसाद कृत - Hariprasad Krat

Add Infomation AboutHariprasad Krat

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भूमिका सस्कृत-साहित्य में काव्यशास्त्र-विधयक ग्रन्थो की एक विस्तृत परम्परा रही है । श्रति श्राचीनकाल से तत्सम्बन्धी ग्रन्यो की रचना की गयी । उपलन्धं साहित्य मे प्राचीनतम ग्रन्थ भरतमुनि (ई० पू० 500 से ई० पू० 200 के मध्य) का “नाद्यशास्त्र” है । सस्ङृत-काव्यशास्व का कमबद्ध इतिहास भरतमुनि सेही प्राप्त होता है। यद्यपि “ताट्यशास्त्र” का प्रधान लक्ष्य नाट्य के विभिन्न तत्त्वो का विवेचन करना है, तथापि यहाँ काव्यागों का भी निरूपण किया गया है। अत “नाट्यशास्त्र” को आधार बताकर परवर्ती सस्कृत आ्राचार्यो ने काव्यशास्त्र- विषयक ग्रन्थों की रचना की । अलकार-शास्त्र को नाट्यशास्त्र की परम्परा से मुक्त कर एक स्वतन्त्र शास्त्र के रूप मे प्रस्तुत करने का श्रेय मामह को प्राप्त होता है । झ्राद्य प्रालकारिक के रूप मे विख्याते मामह (पष्ठ शतक का पूर्वादि) ने “काव्यालकार' नामक ग्रन्थ कौ रचना कौ । इसके पश्चात्‌ भ्रनेक झाचार्यों ने इस परम्परा को आगे बढाया । दण्डी (अष्टम शताब्दी) का “काव्यादश”, उद्भट (भ्राठवी शताब्दी का ग्रन्तिम तथा नवम शताब्दी का प्रारम्म) का “काब्यालकार- सार-सग्रह”, वामन (झाठवी शताब्दी का अन्त भौर नवम शताब्दी का प्रारम्भ) का “काव्यालकार सूत्र”, रुद्रट (नवम शताब्दी) का “काब्यालकार”, प्रानन्दवर्घन (नवम शताब्दी) का “घ्वन्यालोक”, श्रमिनवगुप्त (दशम शताब्दी का श्रन्तिम तथा ग्यारहवी का प्रारम्म) का “ध्वल्यालोकलोचन” तथा “प्रभिनवभारती”, राज शेखर (देशम शताब्दी का प्रारम्भ) की “काव्यमीमासा”, मुकुलमट्ट (नवम शताब्दी ) की “भमिधादृत्ति-मातृका, घनझज्जय (दशम शताब्दी) का “दशरूपक, कन्तक (दशम शताब्दी का अन्तिम भाग) द्वारा रचित “वक्रोवितजीवित”, महिम भट्ट (दशम शताब्दी का अन्तिम माग) का “व्यक्तिविवेक”, भोजराज (ग्यारहवी शताब्दी) के दो ग्रन्य--/सरस्वतीक्ण्ठामरण झोर ' श्गारप्रकाश', क्षेमेन्द्रकृत (ग्यारहवी शताब्दो का प्रारम्म) “भ्रोचित्य-विचारचर्चा”, मम्मट (ग्यारहवी शताब्दी) का “काव्यप्रकाश”, राजानक रुय्यक (म्यारहवी शताब्दी का मध्य भाग) का “मलकार-सर्दस्व”, हेमचन्द्र (1088 ई०-1172 ई०) का “काब्या- सुशासन”, जयदेवविरचित (ग्यथारहवी शताब्दी) “चद्धालोक', विश्वनाथ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now