श्री भागवत दर्शन | Shri Bhagwat Darshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भागवती कथा महिमा खीर
भावानुसार् पस
( १८ )
नैतन्मनस्तव कथाहु विकुएठनाथ
सम्प्रीयते दुरिष दुष्टमसाधु तीव्रमू ।
कामातुरं दर्षशोकमयेपणातेम्
तस्मिन् कथं तये गतिं विश्वशामि दीनः ॥क
(श्री मा० ७ स्कू० € भ० ३६ श्लोक)
छप्पय
पहिली गौठ अन्तमहँ জানত पएूटी।
ग्रत योनि सप्ताह भागवत सुनि के छूटी ॥
धुन्धुकारि घरि दिव्य रूप सम्मुख जब आयो |
श्रोता सबरे चक्रित भये स्वर॒मधुर सुनाया ॥
धन्य धन्य सप्ताह पनि, धन्य भागवत चष हरनि । `
करथो कतारथ नूर अति, घन्य घन्य गोकरन उनि ॥
& भगवान् की स्तुति करते हए प्रह्मादजी कह হই ই--/'ই নত
नाथ ! मेरा जो यह मन है उसकी प्रोति झापक्री कप्रनोय कथाप्रों में
नही है । यह राग द्वं पादि दोषों से दूषित भ्ति भ्साधु, कामातुर, हप॑
शोकश्मय तथा विविधि तापं भोर पृत्रेषादिवेएपणाप्ों से सदा व्याकुल
बना रहता है । इम ऐसे कलुपित चित्त से मैं प्रति दीत-हीन किस प्रकार
झापके स्वरूप का चिन्तन कर सकता हैं स्वरूप बिन्तन तो सागवतो
च्कथाओं के श्रवण से ही हो सकता हे 1”
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