व्यावसायिक नीति एवं सामाजिक उत्तरदायित्व | Vyavsayik Neeti Avam Samajik Uttardayitva
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सामाजिक दापित्वे का नियपर एवं सिद्धान्त 9
व्यवसाय का यह दायित्व है कि वह उपभोक्ताधों को न केवल सही वस्तु,
उचित मूल्यों पर सुलभ कराएं बल्कि माल की किस्म में निरन्तर सुधार करे, इसमें
मिलावट आदि दोषों से बचे, उतकी लागत को निरन्तर घटाने की चेष्टा करे तथा
भूछे झौर मिध्या वर्सन वाले विज्ञापन देकर ग्राहकों को ठगने का प्रयास नहीं
करे। इसके साथ हो साथ माल ऊी सुरक्षा एवं स्वच्छता की हृष्टि से उत्तम
वैरम करना चाहिए तथा जमाखोरी से भनुवित लाभ कमाने का प्रया नहीं
करना चाहिए 1
5. पृतिकर्त्ताओ्रों के प्रति
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पूत्तिकर्त्ताओं से भाशय उन पक्षकारों से है जो व्यवसाय के वाम में झाने वाले
कच्चे माल, मशीनें तथा प्मौजार, कार्यालय के उपयोग मेंग्राने दासौ वस्तुए मथवा
प्रन्य सामग्रियों की पूर्ति करते हैं। ऐसे पक्षकारों के प्रति भी व्यवसाय के कुछ
उत्तरदायित्व हैं जेसे--उनके द्वारा दी गई बस्तुमों का उचित मूल्य चुकाबा, तए
उत्पादों को प्रस्तुत करने का सुग्रवसर प्रदान करना, वाजार मे वस्तुप्रो के प्रभाव को
देखते हुए उनकी कठिताइयो को सुनना झौर उन्हें दूर करने मे सक्रिय सहयोग प्रदान
करना, दूसरे पूर्तिकर्ताप्रो को भी ग्रपने माल को प्रस्तुत करने का प्रवसर प्रदान
करना, व्यापार की घर्तों के झनुसार माल क्षा शीक्ष भुगवात करता, ग्राहकों की
रूचि झादतो एवं फैशन मे होने वाले परिवर्तनों से समय-सभय पर परिचित कराते
रहना प्रादि-प्रादि।
6. समुदाय के प्रति दायित्व
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व्यवसाय समुदाय का एक प्ंग है, भतः इसे समुदाय के प्रति भी झपने
दापित्वों को झोर सजग रहना चाहिए | व्यवस्तायी समाज के विभिन्न साधनों ज॑से
हवा, पानी, कच्चा माल, श्रम भादि का उपयोग करता है। वडी-बड़ी चिमनियों की
भदी हवा से सारा वातावरण दूपित होता है, कारखाने का गन््दा पानी झासपास के
वातावरण को दुर्गेन्ध-युक्त बनाता है। यदि व्यवसायी इन साधनों का इस प्रत्रार
दुस्पयोग करने को अपना झ्धिकार समझता है तो उसका स्थानीय जन-स्रमुदाय के
प्रति कुछ उत्तरदायित्व भी है । प्रसिद्ध उद्योगपति थी टाटा के भनुसार प्रत्येक उपक्रम
का यह कर्तव्य है कि वह अपने साधनो का प्रयोग करते समय झासपास की जनता की
सुख-सुविधा का भी ध्यातं रक््खे। दूसरे शब्दों में, व्यवसाय का यह उत्तरदायित्व है कि
उसे वहाँ के निवासियों को नागरिक व्यावधान ज॑से सौद्योगिक गन्दगी, शोर, कलह
झादि से बचाता घाहिए तथा सामाजिक विकास की दिशा में सहयोग देना चाहिए 1
वहां के निवासियों के कल्याण के लिए जनोपयोगौ कार्य जँसे भ्रस्पताल, घर्मशालाएँ,
स्कूल, पार्क हाथ मे लेने चाहिए । उते ऐसे प्रयत्त करने चाहिए जिससे व्यावसायिक
घ्थिति में स्थायित्व व विक्नास झ्ाए और उसके साथ समाज की प्रगति करे।
व्यवसाय-उपत्तम का इस प्रकार प्रबन्ध हो कि उसकी उन्नति से जनता का भो कल्याण
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