शोध पत्रिका उदयपुर विद्यापीठ की भाग १ अंक १ | Shodh-patrika Udaypur Vidhyapith Ki Bhag-i Ank 1

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Shodh-patrika Udaypur Vidhyapith Ki Bhag-i Ank 1 by विभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रमत युद्ध सम्बन्धी दो हिन्दी आधार प्रथ और उनफा ऐतिहासिक महत्व ६ हदा, -रतनसिद्‌ -राठीष्ः ययाटसिद्‌ ¶ दयाठ्दास्‌ )भाछा আলি বাঃ सुजान्िद्‌ सिसोदिया एव अन्य अपने चुने हुए स्पयिर्या को देकर सरपट अगे सदे वेचार्स ओर सेघिर ग्रण थ, उन्की सख्या निरस्तर घटती दी जा रही थो, तथा उनकी सहायता के लिए अन्य कोई লিক ভুত শী নী আ रढा था अतण्प ये सज्जपूत हतोत्साह-हो नए कर उनका बैग रुक गया। घन ब्र र नेता सुकुल्दर्सिह द्आ की आँख भ नीर खगा जिससे वह मरकर गिर पडा! इस हमले म भाग सेने वाले छुहों ग्ग्वपूत राजा मारे गए। ( सौर्य , १-२ १०२६०३६३ )1 हु बूसरे, “ग्तन राग्ग्रे “और “ वचनिका ” के अनुसार युद्ध-क्षत्र छोटते समय जसपस्तम्तिद ने युद्ध मे रही बाकी शाही सेना के संचालन का भार रतनपिद को सपा था, एव जसत्रन्तमिद्द के युद्ध क्षेत्र छोडने के बाद भी छुछ समय तक रपनसिंद और उसके साथी बोस्तापूनक शाहजादों की, सना कर सामना करते ही रहे । सर यदुनाथ फे मतानुसार रतन्िह की रत्यु पहिले ही हो चुकी थी एवं रतनर्गिंह् फो सेना-स चालन का भाग सपने का फोह গহন ছা লহ ক गया था। जसवन्तसिंद के युद्धनक्षेव छोड़ने के बाद शाही सेना की जा गति-विवि हु उसका सर यदुनाथ नेश्म प्रकार वर्णन क्या ऐ- “ युद्ध में शादी सेना की हार हृ१ यद्‌ वात स्ट हो गई थी । राठौडेः [ज्सवन्त- सिहं ओर उसके साथियो | के युद्र-भेत्र জীতত হী शादी सेन। के वाकी रे विरोध कामी अन्त दो गया | शाही सेना करे मो संचे-लुचे रङ-अव तक शा्जा्तर की सेना का सामना 'कर रहे थे, वे भी युद्ध क्षेत्र छोड कर भाग खड़े हुए 1 राजपूत समिक अपने-अपने घरों को लौट शए एवं मुसलमान सौनिर्कों ने জানত फी राह छी। ! (औरग० १०२ ए० ३६६) । হু पढ़िले द्वो बताया जा चुका है कि सर यदुनाथ ने अपना प्रिवग्ण प्रधानतया फारसी इतिद्ास-प्रैर्थों के ही आधार पर ल्खा है। अब इन हिन्दी फाव्यां से ज्ञो दो नई गाते ज्ञात हुई हैँवय्े ऐतिहासिक दृष्टि से कट्दों तक मान्य ओर पिश्वसनीय हैं इसकी जाँच के लिए इन दो थटनाओं को निम्नलिखित दो कसीदियों पर कसना होगा । (१) ज्ञो नई घटनाएं ज्ञात हुईहैं, थे फारसी एवं अन्य प्रमाणिक ऐतिदासिक आधार ग्रैथों से प्राप्त तथा इतिहासक्रार्ोंद्धारा मर्वभय घटनमत्रम आदि से कहाँ सके विरुद्ध पड़ती हैं, एवं कद्दों तक उनक साथ इनका सामड॒स्य स्थापित हो सकता है ९ (२) शमाणिक ऐतिहासिक घरटनावली तथा क्षात तत्मादीन परिस्थितियों मे इन नई घटनाओं का घटना कटौ तक समन जान्‌ पडता दे १ सर यदुनाथ के मतानुसार श्ल युद्ध फे दिररण के ट्यि प्रधान लाधारमथ हैं. “' आठमगीर-नामा',_ जफरनामा-इ-आ रमगीरी' জীব , करनरइास कृत ‹ फतहात इ-भाटमगीरी ' , इनमें से जसवन्तसिंद फ्री




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