राजनीति प्रवेशिका | Rajneeti Praweshika
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
107
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० राजनीति ५वेशिका
कुंछु करना चाहिए । अमेरिकन राज्यों के संघ के कई राज्यों मे ग़रुलामों
के मौलिक पूरी सच्चाई के साथ यह विश्वास करते थे कि गुलामी
प्रथा गुलामों के ही हित में है ।
कभी यह भो कहा जाता है कि यह बात उसी समुदाय के सिये
लागू हो सकती है जहाँ शासन का अधिकार कुछ सत्ताधारियों के
हाथ में होता है जैसे इंगलैड में, जहाँ मताधिकारी मध्यम श्रेणी के
लोगों के हाथ में है और इसी लिये उस्ती के अनुरुष स्वभावतः कानून
बनते है | किन्तु, जिस राज्य में प्रजातंत्र, है ओर व्यापक मताधिकार
है तथा राज्य के द्किम जनसमुदाय द्वारा चुने जाते है वहाँ यह
सिद्धान्त लागू नहीं होता कि सम्पत्ति कौ शक्ति के अनुसार ही राज्य
का रूप बनता है। ॥
देखने में यह दलील जितनी ठोस मांलूम होती है, वैसी नहीं है।
यह सही है कि आमतौर पर अ्जातंत्रीय राज्य सत्ताधारी राज्य की
तुलना में, जनसमूह के प्रति अधिक उदार होगा। उनीसवीं और
बीसवीं शताब्दि के इंगलैड के काननों में अन्तर इसे साबित करता
है । पर यह अन्तर इस विषय के मूल को नहीं स्पष्ट करते, शक्ति के
उपयोग की आदत उसे शक्ति को रखने की चेतना पर निर्मर करती है
ओर यह आदत उसके संगठन में और तुरत उपयोग में लाने की
योग्यता से पैदा होती है। प्रजातत्रीय राज्य में; जहाँ आर्थिक शक्ति
में बड़ी समानत्त छोती है, गरीत्रों में यह खासियत पाई जाती है कि
उनमें इसी आदत की कमी होती है | वे यह जानते ही नहीं कि उनमें
कया शक्ति है | वे यह शायद हीं समझते हैं कि अपने हितों का
संगठन करके वे क्या कर सकते हैं। अपने शासकों के पास उनकी
सीधे पहुंच नहीं होती । प्रजातंत्रीय राज्य में मजदूर वर्ग अगर कोई
काम करे तो निश्चित लाभ के अनुपात में उसकी आर्थिक सुरक्षा के
के लिये खतरा हीः ज्यादा. रहता है, अपनी मागो की पूर्ति के लिये उन्हें
साधन का आय: अभाव दी रहता है | बिस्ले ही सीख पाते हैं कि
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