सिलाई कला का संक्षिप्त इतिहास | Silaee Kala Ka Sankshipt Itihas

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Silaee Kala Ka Sankshipt Itihas  by श्री श्याम सुन्दर शर्मा - Shri Shyam Sundar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( & ) यदि मशीन नित्य-प्रति काम में श्राती हो तो सप्ताह में दो था तीन दिन, कभी-कभी काम में आती हो तो सप्ताह में एक दिन और यदि मशीन बहुत दिनों तक बेकार रखी रहें तब भी कभो- कभी तेल डाल देना चाहिये जिससे कि उसके पूजें खुरक न हों । भ्रगर पैरवाली मशोन हो तो पैरदान के बेश्रस्गि तथासभी जोडों पर तेल डालने का ख्याल रखे, अगर मशीन नित्य प्रति काम मे श्राती हो तो सप्ताह मे एक दिन मशीन के नाल, शटल तथा श्रन्य भ्नावश्यक पुर्जो को खोल कर सफाई करनी चाहिये । टेलरों के लिए मशीन की सफाई सप्ताह में दो बार करना अवध्यक होगा । मशीन की सफाई करना थ्रोर तेल डालना जिस प्रकार मनुष्य को स्वस्थ रहने फ वास्ते श्रपने शरीर की सफाई करनी पडती हूँ उस्ती प्रकार मशीन को ठीक रखने के लिये उसकी सफाई की श्रावश्यकता होती हैं । - मशीन की सफाई हमें प्रति दिव उस पर काम करने से पूर्व करनी चाहिये। इस सफाई को हम दो भागों में विभक्त कर सकते हैं । (१) मशीन की बाहरी सफाई । (२) मशीन की अन्दरूनती सफाई। „ (९) मशीन की बाहरी सफाई:-- मशीन पर काम करने से पूर्व उसे साफ कपडे से अच्छी प्रकार साफ कर देना चाहिये, ताकि उसके ऊपर जो गद हैं वह कपड़ों को खराब न करे तथा उड कर पूर्जो में न जाये । (२) श्रन्दरूनी सफाईः- मक्षीन को दूसरे तीसरे रोज नाल - शटल জা खोल कर उन्हे साफ करना चाहिये । तत्पश्चात्‌ अन्य स्थानों को साफ करके तेल देना जरूरी हं । লাজ-হাতল यथा स्थान लगा देना चाहिये । पेच कसते समय यह्‌ ध्यान रखना चाहिये कि दोनों पेचों को थोडा २ समान रूप से कसना चाहिये, ताकि पहिले एकं को पूया कष कर फिर दूसरे को कसे। कभी- कभीं मशीन चलते समथ एकाएक खट की भ्रावाज करने षती




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