नटनागरविनोद | Natanagaravinod

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Natanagaravinod  by रत्न सिंह जी - Ratna Singh Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नटनागरविनोद । १५ एकतोघटाअनूपनागरशिषीकीकूक, विद्युतरुता केरूप॑मितछबिन्यारेंहें ॥अरुणदुपद्टानासें सुगंधर ७ हल ৬২৬২২ पटाउड, मारुतञ्चपडादेतगतिकोषिसरिहे ॥भवट घटापेगिरेतिनकोथटासाहीत, चंद्रमुखऊपरलायें नागकारेहे ॥ आजयाअटापेदीऊकरमेंघटासेपेन कीनपोंछटासिहायकटाकरिडारेंहें ॥ २८ ॥ चंद्रके उनारिमतवरेनटनागरत्यो, शीतरुसुगधमदर्फंद बंदपारेरे ॥ तानकीतरंगसंगमधुरमृदंगधुनि, अंग अंगमदनउमगवलधारेरे ॥ जारेउरकीठिनमहारियों प्रहरेहारे, प्यारेभवन्यारेव्हेके चित्तसोंविसारेरे ॥ रातवाअटपेदोऊकर मेंपटासेपेन, कोनधोंछटासे दायकटाकरिडरेरे ॥ २९॥ है संवेया-सॉवरेरंगरगीसबरीकीऊ, ऊणरीनॉव्रज गॉवरेवारी ॥ साँवरोरूपवस्योट्गमे,सवसांवरोदीख तहेइकसारी ॥ उद्धवसांवरीरेनिचढी, नटनागर सोकदाह्विगईकारी ॥ सांपरेरंगरिझ्ञायलई, हमसांवरे




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