श्री राधा - माधव - चिन्तन | Shri Radha - Madhav - Chintan

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Book Image : श्री राधा - माधव - चिन्तन  - Shri Radha - Madhav - Chintan

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५ ) + पृष्ठसंख्या १४८-गरेमीके काम-कोधादिके पाच--प्रियतम भगवान्‌ - ˆ ४८३ १५-भगवस्येमकी पराक्िके साधन = **- ४९० १६-मगवत्मेमकी अमिलापा নও ४३४ ৯৫ १७-भगवत्पेमकी प्राप्तिकः साधन--उत्कट चाह *** ४९३ १८-भगवद्‌विरहकी दुरम खिति ४ °. ५९६ १९-ग्रेसीकी तल्खीनता *** ~“ ক २०-प्रियतमका नित्य स्मरण *** ००० ००. ५०० २१-भगवक्कपासे ही भगवत्येमकी प्रात्ति `` -** ५०२ २ र्-परेममे बिपय-वैराग्यकी अनिवार्यता हो --* ५०४ २३-प्रियतमकी प्राप्ति कण्टकाकीर्ण सार्गसे ही होती है. ._ *** ५०६ २४-प्रेम और নিঘি-নিদঘ ** *** ७०९ २५-बिखरे सुमन নি, तय... हल -* ५११ २६-प्रेम-एकादशी ( पद्च ) “*' कर *** ५२३ २७-प्रेमका नेम ( पथ्च ) ˆ টি * ५२४ श्षीगापाडता হলি চা জি ( ५६५५-६०8 ) १-उन्दना ( पच ) *** श * ५२५ २-मोक्ष-खंन्यासिनी गोप्यो ` * রি - * ५२६ ३-गोपी-प्रेस ०९ ००१ *** ५३९ ४-गोपीदयमे प्रम-समृद्र ` ˆ এ *** ५७३ ५-गोपी-प्रेमकी सहिसा._ *** शी * ६७५ ६-गोपियोंके श्रीकृष्ण. !* টা **० ७७७ ७-श्रीगोपाज्ञनाओंकी महत्ता' ' कि *** ५७८ <-गोपीमावकी साधना ` र *** ५८१ ९-गोपीमावकी प्राप्ति. ই *** ५९५ १०-साधकका सिद्धदेह `“ श्र ** ५९७ ११-सिद्ध सखीदेह पे के *** ६०१ १९-गोपीत्रेमकी साधना ओर विद्धि ( प्च ) ` * * ६०१ १३-गोपियोंकी महिसा ( पद्म ) बे *** ६०४ ध्रक्ीर्ण ५५५ ००१ ५०१ ( ६०५-द४७ ) १-प्राथेना ( पद्य ) र न “> ६०५ -एक कृशघ्रसीके पचक उत्तर ( पद्य) *** ६०६ আজ শি নস ও সপ পি পাস




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