भारत के तीन प्रमुख शिक्षाविद राष्ट्रपतियों के शैक्षिक विचारों का तुलनात्मक अध्ययन | Bharat Ke Teen Pramukh Shikshavid Rashtrapatiyon Ke Shaikshik Vicharon Ka Tulanatmak Adhyayan
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
298 MB
कुल पष्ठ :
414
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शिक्षा सम्मेलन में समग्र रिक्षा की योजना प्रस्तुत की गईं थी जिसे नई तालीम कहा
गया हे । “महात्मा गांधी ने गुजरात विद्यापीठ की स्थापना 18 अक्टूबर 1920 ई. को
स्वयं की शी ओर वे ही अजीवन इसके कुलपति रहे । इसका उदेश्य चरित्र योग्यता,
शिक्षा ओर कर्तव्य निष्ठता से युक्त एेसे कार्यकर्ता तेयार करना था जो सत्य ओर
अंहिसा के आदर्शो के अनुरूप जीवन-यापन करने वाले हो | शिक्षा का माध्यम मातृभाषा
रखा गया और पाठयक्रम में राष्ट्रभाषा हिन्दी अनिवार्य रखा गया। विद्यापीठ ग्रामों के
उत्थान का एक साधन बना | आज वहां नर्सरी, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा
की व्यवस्था है। वहां प्रतिदिन दो ढाई घण्टे का कृषि, काष्ठकला और हाथ की
कताई-बुनाई का शिल्प यहां के कार्यक्रम का आवश्यक भाग है। विद्यापीठ सामुदायिक
जीवन का अनुभव प्रदान करता है। परीक्षा की दृष्टि से वार्षिक परीक्षा के स्थान पर
साप्ताहिक टेस्ट होते हे | जिसमे विद्यापीठ के पाद्यक्रम के सभी पक्षो का मूल्यांकन
किया जाता हे । इन्ही उदेश्यों को आधार बनाकर वाराणसी मे बसंत पचमी के दिन 10
फरवरी 1921 को महात्मा गांधी के कर-कमलो से ही काशी विद्यापीठ की स्थापना की
गईं | वहां शास्त्री का पाद्यक्रम एम. ए. के स्तर का था | आज वहां शास्त्री के अतिरिक्त
एम.ए, एम.ए एस, पी.एच डी, डी. लिट् कोर्स भी चल रहे है। नियमित और व्यक्तिगत
दोनों ही प्रकार के विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हे ^
महर्षि अरविन्द घोष ने बड़ौदा राज्य मे कुछ वर्षो तक अध्यापन कार्य किया
वगमंग आंदोलन मं वह सक्रिय रूप से सम्मिलित हुए । राजनीति से सन्यास लेकर
पंडिचेरी मे आध्यात्मक साधना मे लग गए । 1943 में देश विदेश के साधकं के बच्चो
को शिक्षा देने हेतु विद्यालय की स्थापना की जिससे उनके शैक्षिक विचारो को मूल रूप
दिया जा सके | अब वह एक अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द का रूप ले चुका है। डॉ. सर्वपल्ली
राधाकृष्णन वर्ष 1939 में हिन्दू विश्व विद्यालय बनारस में उप कुलपति बनाए गए।
1948 में विश्वविद्यालय आयोग के अध्यक्ष बनाए गए, इस आयोग में सदस्य रूप में डॉ.
1. “आधुनिक भारतीय शिक्षा समस्यायें और समाधान” लेखक रवीन्द्र अग्निहोत्री, प्रकाशक राजस्थान
हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, ए-26/2, तिलक नगर, जयपुर, पृ. 412-413
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