बेहतर जीवन के लिए मनोविज्ञान कक्षा - 12 | Behatar Jivan Ke Liye Manovigyan Kaksha - 12

Behatar Jivan Ke Liye Manovigyan Kaksha - 12 by कमला भूटानी - Kamala Bhutani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6 प्रकटीकरण मे आनुवशिकी क्षमता तथा पर्यावरण अवसर प्रदान करता है। मानव जीवधारी होने के कारण व्यक्ति न तो बंशानुसंक्रण से बच सकता है न ही वह जिस पयविरण में रहता है उस पर्यावरण के सामाजिक- सास्कृतिक प्रभावों से दूर रह सकता है। इस प्रक्रिया में जैविकीय तथा सामाजिक-सास्कृतिक पयविरणो के आपसी संबधो के परिणामस्वरूप मानव विकास होता है। सामाजिक-सास्कृतिक परिवेश का प्रभाव कभी-कभी व्यक्तित्व विशेषको जैसे ईमानदारी, अंतर्मुखी -बहिर्मुखी, अभिरूचियों, मिलनसारी तथा आकाक्षा का स्तर इत्यादि के विकास मे स्पष्ट दिखता है। आनुवंशिकी तथा पर्यावरण की सापेक्ष भूमिका तथा उनकी परस्पर क्रिया की प्रकृति प्रत्येक व्यक्ति मे भिन्न-भिन्न होती है लेकिन किसी न किसी रूप मे परस्पर क्रिया सदैव होती है। अतः यह बात मान लेना तर्कं सगत है कि व्यक्तिगत भिन्नता उत्पन्न करने मे आनुवशिकी तथा पर्यावरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहै। कुच महत्वपूर्ण चर जो दो व्यक्तियो कै वीच अतर्‌ पैदा करते हैं जैसे बुद्धि, अभिक्षमता, विद्यालयी उपलब्धि और अभिरुचि की व्याण्या निम्न प्रकार से की गई है। 1 बुद्ध विद्यालय एवं कालेजो में अध्यापक मानते हैं कि बुद्धि विद्यालय की शिक्षा या शैक्षिक उपलब्धि को प्रभावित करने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण चर है। न केवल शैक्षिक संस्थाओं मे वरन्‌ समाज, कुटुम्ब, उद्योग ओर मानव जीवन के अधिकतर क्षेत्रों में भी बुद्धि लोगों की सफलता एवं निपुणता को प्रभावित करने वाला प्रधान कारक है। मनोवैज्ञानिक “बुद्धि की व्याख्या अनेक प्रकार से करते हैं परंतु कोई भी दो मनोवैज्ञानिक बुद्धि की किसी एक सर्वमान्य परिभाषा पर सहमत नही हैं। कुछ मनोवैज्ञानिक बुद्धि की सामान्य योग्यता के रूप में अथवा एक प्रकार की शक्ति जैसे विद्युत शक्ति की भाँति व्याख्या करते है बेहतर जीवन के लिए मनोविज्ञान जो व्यक्ति के चितन एवं क्रियाओ को प्रभावित करती हैं। कुछ अन्य मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि बुद्धि विभिन्‍न योग्यताओं को लिए समष्टि योग्यता है। हम कह सकते हैं कि बुद्धि ज्ञान को अर्जित और प्रयुक्त करने की क्षमता है । बुद्धितन्धि बु ल) बुद्धितब्धि (बु ल) को बुद्धि के माप के रूप में माना गया है। अल्फ्रेड बिने ने 1908 में बद्धिलब्धि की गणना के लिए मानसिक आयु के प्रत्यय को प्रस्तुत फकिया। मानसिक आयु को मानसिक योग्यता के विकास के उस स्तर के रूप में पारिभाषित किया गया है जो उस शारीरिक आयु में विशेष होती है जिस पर व्यक्ति औसत रूप से पहुँचते दै। उदाहरणार्थं एक आठ वर्ष की मानसिक आयु का बच्चा औसत रूप से आठ वर्ष के आयु समूह के मानसिक स्तर पर पहुँच जाता है। बद्धि परीक्षणों के प्रयुक्त करने से किसी व्यक्ति की मानसिक आयु का मूल्यांकन किया जाता है। प्रायः मानसिक आयु शारीरिक आयु से भिन्‍न होती है) यह देखा गया है कि व्यक्ति को मानसिक आयु शारीरिक आयु के साथ-साथ बढ़ती है लैकिन यह बढ़ोतरी एक निश्चित सीमा तक ही होती है। बुद्धिलब्धि मानसिक आयु (मा आ) और शारीरिक आसु शा आ) के भागफल को 100 से सुणा करने (गणना की आसानी के लिए) पर प्राप्त होती है শা त शा आ विशेषता है कि यह किसी व्यक्ति के पूरे जीवन में थोड़े बहुत अतरों के साथ एक जैसी रहती है। केवल नाम मात्र की अस्थिरता हो सकती है। इसीलिए बु ल को मानव बुद्धि का विश्वसनीय माप माना गया है। औसत बुद्धि के बुद्धिलब्धि स्तर को 100 माना गया है। इसका तात्पर्य यह है कि जब मानसिक आयु शारीरिक आयु के बराबर होती है तब यह औसत बुद्धि दर्शाती है। मा आ जब शा आ से कम होती बुद्धिलब्धि की महत्वपूर्ण




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