चैत्यवंदन सामायिक | Chaityavandan Saamaayik
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)৮54,
॥. नमृथ्धु्ण (शक्रस्तव)॥
नम्ुथ्युण, अरिहंताणं, भगचंताणं॥१॥ आइ-
गराएं तिथ्थयराणं लय सचुदाणं ॥ २॥ पुरिछुत्त-
: साणं प्ररेससीहाणं पुरिसवर पुंडरीआणं, पुरिसवर
गंघहथ्थिण ॥ ३॥ लोगुत्तमांणं लोगन।हाणं लोग
हिआणं लोगपड़वाणं लोगपञ्नोअगराणं ॥४॥ अम-
अचद्यार्ण, चक्खु रणणं मग्गद्याणं सरणदयाणं,
बोहिद्य,णं ॥५॥ धम्मद्याणं धम्मदेसियाणं, धम्प-
नायगाणं धम्मसारहाणं घधम्मवरचाउरंत चक्कवद्दी णं
121 अप्पडिहय वरनाण देसण धराणं, विअद्दय छड-
माणं ॥७॥ जिणाणं जावयाणं, तिन्नाणं तारयाणं,
चुझाणं बोहयाणं,मुत्ताणं मोयगाणं ॥८॥ सब्वन्नूणं,
सव्व दरिसिणं, घिव मंचल জল লাল লবন
सव्वायाह मपुण रावित्ति सिद्धि गइ नामपेये, ठाणं
संपत्ताणं, नमो जिणाणं जिअमयाणं ॥९॥ जेअज
अङञासिद्ा, जेअ भविस्संतिणागपए काले सपह-
अवटमाणा, सव्ये तिंविहेण वदामि ॥ १०॥
अथ---अरिहन्त भगवानको नमस्कार छो। जो धर्मप्रारंभ
करनेवाले हैं, तीभके स्थापन करनेवाले हैं, स्वयं बोध पानेवाले हैं.
पुस्पोमिं उत्तम पडरीक कमल ओर श्रे गंधहस्ति समान हैं, लोकमें
उत्तम हैं, लोकके नाथ हैं, छोकका, हित करनेवाले हैं, छोकमें
दीपक समान हैं, छोकमें प्रकाश करनेवाले हैं, अमय दान देने-
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