सम्पदा | Sampada

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सम्पदा  - Sampada

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गत धर्ष में हमारी स्टलिंग निधि २३० करोड़ रु० कम हो गईं । इमने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा प्राप्त ४९ करोड़ रु० की राशि का भी उपयोग कर लिया। यद्द भारी ध्यापारिक प्रतिकूलता विकास सामग्री के भारी परिमाण में आयात के कारण हुईं । हमारे &০ प्रतिशत झायात मशीनरी, याता- यात चान तथा लोहे कै হীন हैं। पिछले कुछ मद्दीनों से विदेशी विनिमय की स्थिति में सुधार के लक्षण इस रूप में दीखने लगे ह कि पते प्रति मास २९ करोद्‌ रुण्की स्टिंग निधि कमहो रदी धी, रव १० करोवृ रु० कम होने लगी है । उद्योग ष व्यापार फ सहयोग से सरकारने जो कदम इस दिशा में उठाये हैं, उन्हें इसका श्रेय है। भू० १० वित्तमंत्री श्री कृष्णमाचारी के प्रयर्नों का उल्लेख मुझे अवश्य करना है । उनके प्रयरनों से जो हमारे मण्डल के साथ किये गये थे, विदेशी मुद्रा मिक्नने में सफ- लता मिली है । निजी उद्योग के पू'जीगत सामग्री मंगाने पर कठोर शर्तें लगी हुईं है। विलम्बित भुगतान के लिए भी शर्तें कढ़ी कर दी गई हैं। में मानता हैँ कि हम इस योजना का बिना विवेक के खुले हाथों प्रयोग नहीं कर सकते, क्‍योंकि तथ मे भुगतान की कठोर समस्या का शीघ्र ही सामना करना पढ़ जायगा, लेकिन में सरकार से यद्द जरूर कद्दना টুনা कि हमें प्राप्त होने वाक्ती विदेशी सद्दायता को सामने रखते हुए विदेशी विनिमय के समस्त प्रश्न पर विचार करमा 'वादिए । इसमें सन्देद्द नहीं कि आयात पर नियंत्रयों को शिधिल कर देने से श्वतरनाक परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं । किन्तु श्रावश्यक से घ्धिक समय सक दच्ायाव पर निंत्रणों को जारी रखने से भी दुखद परिणाम डत्पन्न हो सकते हैं, क्योंकि इससे संभावित विकास रुफ सकता दे । सरकार की कर नीति इसके साथ ही धान्तरिक छ्ोतों के विकास और सर- कार फी कर नीति का प्रश्न भी उपस्थित हो जावा है + यह आम एयाल है कि धान्तरिक साधनों से घन प्रघ करने की फोई सीमा नहीं है | वह जितना चादे, प्राप्द किया भा सकता है । यद्द स्याल हमें प्रश्न पर ठीक सरद से सोचने में सहावर डालता है। इस भ्रश्न -पर हमें इस थात को माघं रश८ ] ध्यान में रखकर विचार करना चादिए--खपत पहले ही बहुत कम है, उस पर बिना प्रभाव ढाले आज फी श्ार्थिक स्थिति में हम यचत फो नहीं घढ़ा पा रहे । रुपया प्राप्त करने और प्‌ृ'ज्ी यनाने के लिए एक शर्त यह है कि द्ृष्य के सोत केम होने या सूखने नहीं पायें। देश को सम्पत्ति बढ़ने के साथ ही सरकारी राजस्व यढ़ सकता है। दूसरे शब्दों में उद्योग और ब्यापार मफा कमाने की स्थिति में दोने चाहिए और उनकी उन्नति होनी चादिषु 1 अपनी बात को भनुस्मति के इन शब्दों की अपेत्ता में श्रधिक अच्छी तरद्द ध्यक्र नहीं कर सकता कि कर दाता के योग क्षम” की थोर उचित भ्यान देना चाहिए्‌। योग क्षे म एक ध्यापक शब्द है और इससें कर- दाता की स्थिरता (योग) श्रौर हित (क्षेम) कै लिप आव- श्यकं सभी यातो का समाविश हो जाता है । नया बजट इन सब यातों की रोशनी में में सरकार से और उन अधिकारियों से, जिनके हाय मे कर नीति का निर्धारण है, कर नीति पर विचार करने का अनुरोध करना चाहता हूँ। हमें यद्द ध्राशा थी कि नये यर्ष का बजट पेश करते समय सरकार कर नीति कै उस घसन्तुलन फो दूर कर देगी, जो पिछले वर्ष के बजट के कम्पनियों पर सम्पत्ति-कर, ब्यय कर, कम्पनियों के लाभ की चनिवारय रूप से अमा झादि की प्यवस्या ढे कारण उष्पन्न द्वो गया है। इनमें से कई कर विक्कुल नये थे, जिनकी कोई संभावना भी न थी। इस नये बजट में कर नीति की पूर्णता के नाम पर एक चौर उपद्वार कर लगा दिया गया है। सेद्धान्ठिक रूप से पुर्णता स्वयं अपने में कोई उद्दं श्य नहीं है। सरकार जो नये नये कर लगा रही है, उससे रुपया लगाने वाक्षे को भारी चुक्सान होगा । यह दसी से मालूम ह्वो सकता है कि अगस्त १8२६ में क्रौद्योगिक छेम्न में डियिदेण्ट का सूचक अंक १२७,४ था, यह जनवरी २८ में गिरकर १२.१ तक आा गया है। पिरघ शेयरों का भी सूचक धंक हसी तरह गिरा हे । यद्द अगरत ९६ में ६६.२ था, किस्तु ध्यछ ७१,४ तक गिर गया है | दम ऐसी स्थिति पर पहुँच गये है, जब नये नये बढ़े हुए कर देश के ध्ार्थिक विकास के लिए झावश्यक प्रेरणा और उत्तरदायित्व छो ही:




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now