प्राइमरी शिक्षक | Pramery Shiskshka

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
369
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संबंधी क्रियाओं को गूंथा जा सकता है । इसके अतिरिक्त,
स्वलेन्मता से भी उसे इन क्रियाओं को करने हेतु समुचित
प्रोत्साहन, प्रेरण, पर्यावरण एव सहायता द्वारा उसके उपलब्धि-
प्रेण व आर्काक्षा-स्तर का निरन्तर वर्धन करते रहना चाहिये ।
बच्चों में रुचियों का सृजन
कई नार उपयुक्त पर्यावरण न मिलने के कारण बालक में
रुचिमो की विपन्नता, शौको की गरीबी पाई जाती है ) बाल-
अध्ययन सम्बन्धी कई शोधो से यह सिद्ध हो चुका है कि पर्यावरण
की संपन्नता बालको की मानसिक शक्तियों, संवेगात्मक
स्थितियो तथा रुचि.भण्डारो को स्मुष्टि प्रदाने करती हे ! इसलिये
अत्यावश्यक है बच्चों को विभिन्न प्रकार के पर्यावरणों के प्रति
अनावृत करना, नई नई परिस्थितियो के प्रति उदमासित करना,
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नूतन चुनौतियो के प्रति जाग्रत करना, नवीन व्यक्तियों के सम्पर्क
में लाना । ऐसा करने से वे नए-नए दृश्य देख सकेगे, भाँति भाँति
की आचाजें घुन सकेंगे । तभी उनमे बहुमुखी रुचियाँ जाग्रत होंगी,
विविध प्रकार के शौक बरटेगे तथा उनकी स॒जनात्मकला की वद्वि
होगी ।
अन्तिम कथन
उत्यन्त ही मौलिक, व्यापक एवं महत्वपूर्ण है प्रस्तुत्त चर्चा का
विषय । इस लेख के माध्यम से कुछ सम्बन्धित स्वत: भू विचार
वाचकों के सम्मुख इस आशा से परोस रही हूँ कि इस प्रकार के
विचार-विमशों द्वारा हम वयस्क के पिता “बालक की सजनात्मकत्त
का विकास्त कर एक अधिक संपन्न व सुन्दर संसार की नीव
डाल सकेंगे । {101
प्राइमरी शिक्षक
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