प्राइमरी शिक्षक | Pramery Shiskshka

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Pramery Shiskshka by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संबंधी क्रियाओं को गूंथा जा सकता है । इसके अतिरिक्त, स्वलेन्मता से भी उसे इन क्रियाओं को करने हेतु समुचित प्रोत्साहन, प्रेरण, पर्यावरण एव सहायता द्वारा उसके उपलब्धि- प्रेण व आर्काक्षा-स्तर का निरन्तर वर्धन करते रहना चाहिये । बच्चों में रुचियों का सृजन कई नार उपयुक्त पर्यावरण न मिलने के कारण बालक में रुचिमो की विपन्नता, शौको की गरीबी पाई जाती है ) बाल- अध्ययन सम्बन्धी कई शोधो से यह सिद्ध हो चुका है कि पर्यावरण की संपन्नता बालको की मानसिक शक्तियों, संवेगात्मक स्थितियो तथा रुचि.भण्डारो को स्मुष्टि प्रदाने करती हे ! इसलिये अत्यावश्यक है बच्चों को विभिन्‍न प्रकार के पर्यावरणों के प्रति अनावृत करना, नई नई परिस्थितियो के प्रति उदमासित करना, 10 नूतन चुनौतियो के प्रति जाग्रत करना, नवीन व्यक्तियों के सम्पर्क में लाना । ऐसा करने से वे नए-नए दृश्य देख सकेगे, भाँति भाँति की आचाजें घुन सकेंगे । तभी उनमे बहुमुखी रुचियाँ जाग्रत होंगी, विविध प्रकार के शौक बरटेगे तथा उनकी स॒जनात्मकला की वद्वि होगी । अन्तिम कथन उत्यन्त ही मौलिक, व्यापक एवं महत्वपूर्ण है प्रस्तुत्त चर्चा का विषय । इस लेख के माध्यम से कुछ सम्बन्धित स्वत: भू विचार वाचकों के सम्मुख इस आशा से परोस रही हूँ कि इस प्रकार के विचार-विमशों द्वारा हम वयस्क के पिता “बालक की सजनात्मकत्त का विकास्त कर एक अधिक संपन्न व सुन्दर संसार की नीव डाल सकेंगे । {101 प्राइमरी शिक्षक




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