श्री शंकरचार्य | Shri Shankarachary

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Shri Shankarachary by बलदेव उपाध्याय - Baldev Upadhyay

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बलदेव उपाध्याय - Baldev Upadhyay

Add Infomation AboutBaldev Upadhyay

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रथम संस्करण को प्रस्तावना ग्राज शङ्कुराचायं का जीवनचरित हिन्दी पाठकों के सामने प्रस्तुत करते समय मुभे श्रपार ्रानन्द हो रहा है। राजनेतिक आन्दोलन के इस युग में हम अपने धर्म के संरक्षकों तथा प्रतिष्ठापकों को एक तरह से भूलते चले जा रहे हैं । परन्तु श्राचायं शङ्धुर का पावन-चरित भुलाने की वस्तु नहों है । यह तो हमारे निरन्तर मनन का प्रधान विषय है। आचाये का हमारे ऊपर इतना अ्रधिक उपकार है कि उसका स्मरण न करना हमारे लिये घोर अपराध है। दद्भूर की जयन्ती हमारे लिए राष्ट्रीय पर्व है। उनका चरित्र परमा्थ-पथ के पथिकों के लिये एक बहुमूल्य सम्बल है। आचाये के जीवन-चरित के सम्बन्ध में यद्यपि बहुत से ग्रन्थ संस्कृत में उपलब्ध होते हैं, तथापि आवश्यकता इस बात की थी कि उनके वृत्तो को सवं साधारण तक पहुँचाने के लिये उक्त ग्रन्थों का उटापोह कर हिन्दी में एक प्रामाणिक जीवन-चरित प्रस्तुत किया जाय । इसी ्रभावका पूति करने के लिए यह ग्रन्थ रचा गया है । ग्रन्थ में चार खण्ड हैं - प्रवेश खण्ड (२) चरित खण्ड (३) रचना खण्ड (४) दशन खण्ड । प्रवेश-खरड में हमने भ्राचायं के जीवनचरित को ठीक-ठीक समभने के लिए जो आवश्यक उपकरण हैं, उनका वर्णाँन किया हैं । पहले परिच्छेद में मेंने इस जीवन-चरित के लिखने की शेली केसी होती चाहिए, इस विषय पर विशेष विचार किया है । द्वितीय परिच्छेद में उपलब्ध उपकरणों की समीक्षा की गयी है । तीसरे परिच्छेद में शङ्कुर पूवं भारत की एकं भव्य की है, जिसके देखने से इनके जीवन चरित का महत्व भली-भांँति समभा जा सकता है । चौथे परिच्छेद में शद्भुराचायं॑ के आविर्भाव काल का पूरा विवेचन किया गया है। 'चरित-खरड” में £ परिच्छेद हैं जिनमें शड्भूर का जीवनचरित क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत किया गया है । इस खण्ड के लिखने में हमारा यही अ्रभिप्राय नहीं है कि केवल शड्भूर का ही जीवनचरित दिया जाय, प्रत्युत्‌ उनके समसामग्रिक महापुरुषों का, विशेषतः कुमारिलभट्ट का, जीवनवृत्त भी साथ-साथ निबद्ध किया गया है। रचना-खण्ड में शद्भुर के रचनात्मक कार्यों का विवरण है। इसके पहले परिच्छेद में शद्धुर के ग्रन्थों का विशेष रूप से विवरण दिया गया है गनौर यथाशक्ति उनके श्रसली ग्रन्थों कौ छानबीन युक्तियों के सहारे कौ गई ह । इसके दूसरे परिच्छेद मे शिष्यो का विस्तृत परिचय है । शङ्कर के प्रधान दिष्य




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now