भक्तामर - महामण्डल - पूजा | Bhaktamar - Mahamandal - Pooja
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पंडित कमलकुमार शास्त्री -Pt. Kamalkumar Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सद्भलाचरण ,
ভর্তি বালান वोरो, मज्भजल गौतमो गणी।
অভ্র कुन्दकुन्दार्यो, जेनपर्मोष्स्तु मद्भलमु॥ १॥
नमः. स्यथादहंदभ्यो, विततगुणराड्भ्यस्त्रिभुवने ।
नमः स्यात् सिद्धेभ्यो, विगतगुणवद्भ्यः सविनयम् ॥
नमो हाचार्येभन्य., सुरगुरुनिकायो भवति ये।
उपाध्यायेभ्योऽथ, प्रवरमतिधृद्भ्योऽस्तु च नमः! २॥
नमः स्यात् साधुभ्यो, जगदुदधिनौभ्यः सुरुचित' ।
इदं तत्तवं मन्तं, पठति शुभका्ये यदि जनः ॥
असारे संसारे, तव॒ पदयुग-ध्यान-निरतः ।
सुसिद्ध: सम्पन्न स हि भवति दीर्घायुररुज. ॥३॥
अहंन्तो भगवन्त इन्द्रमहिताः, सिद्धारच सिद्धीश्वरा: |
आचार्या जिनशासनोचन्नतिकरा., पूज्या उपाध्यायका' ॥
श्रीसिद्धान्तसुपास्का मुनिवरा, रत्तत्रयाराधकाः।
पञ्चैते परमेष्ठिन. प्रतिदिन, कुर्वन्तु वो मद्खलम् 11 ४॥
१-- अनुष्टुप । २, ३-रिखरिणी । शादुंलविक्रोडित 1
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