प्रौढ़ और सामाजिक शिक्षा के नये प्रयोग | Prodh Aur Samajik Shiksha Ke Naye Prayog
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१९
उसी प्रकार ऊँ दूसरे विभागों में काये कर रही दै । इन लोगों कौ `
निकाल देने के पश्चात् कितने और केसे शिक्षक ग्रोढ़-शिक्षा के
क्षेत्र में रह जायेंगे यह विचारणीय है । इन लोगों को किस प्रकार
ऐसी ट्रेनिंग दी जाय कि ये लोग विश्व-विद्यालय की उच्च डिग्री
प्राप्त किये बिना ही अधिक से अधिक ज्ञान संचय कर सकें ओर
अपने अजित ज्ञान द्वारा देशवासियों को अधिक-से-अधिक लाभ
पहुँचा सकें !
यह अनुमान किया जाता है कि देश की शिक्षा-प्रसार योजना
को सफल बनाने के लिए पचास लाख शिक्षकों की आवश्यकता
होगी । इस महती समस्या का हल केवल हमारे शिक्षकों के
कालिजों द्वारा ही नहीं हो सकता | इसके लिए यह आवश्यक हे
कि हमारे अच्छे स्कूल व कालेजों से ऐसे विषयों का समावेश हो
कि जो देश-निर्माण के कायं मे संलग्न व्यक्तियों को सहायता
पहुंचा सकें | इस ज्षेत्र में एक वहुत बड़ी संख्या में उन सामाजिक
स्वयं-सेवकों, नवयुवकों और राजनेतिक कार्यकर्ताओं का भी
सदुपयोग हो सकता है कि जिनको जनता से सम्पक में आने का
अनुभव तो है, परन्तु अपने इच्छित विषय का ठीक ज्ञान नहीं है
श्रथवा इसके प्रतिपादन करने का ठंग नही आता, किन्तु उनका
उत्साह उनके इस असाव को दूर करता है। वे ऐसी संस्थाओं में
जाने से नहीं हिचकिचायेंगे कि লহ उनको थोड़े ही समय में अपने
इच्छित विपय का ज्ञान अथवा उसके श्रतिपादन व शिक्षण के
तरीके सिखाये जा सकें । यही शिक्षा प्राप्त करने का उत्तम मार
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