गोपी ह्रदय | Gopi Harday
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११
जितने मेँ पिर अक सुरीछी आवाज़ने मंत्रमुम्घ सृष्ठिकों चोकन्ना
कर दिया :
“तारों की ज्योत में जैसे मृदुता, चंद्र के तेज में ज्यों शीतल्ता, ।
ज्वलंत सूर्य में अम्र तपन ज्यों, अरुण में छाछ गुछाछ ॥”--
ओर फिर वही 'बुल्ंद, हुलसित ध्वनि :
£यों ही प्राणन मेँ नदद {”
में रोमांचित हो झुठी | दिछ को कोओ अजीब, गंभीर, साथ ही
अतिरुचिर व्यथा वेचैंन करने छगगी | में गुमसुम सी होने छगी । ससी दम
अक सहेली अदगारी, “हरि हरि !” यह सुनते ही चंद वेखुद होकर
रोने छगीं ! आश्चर्य जिधर यह तमाशा चरु रहा था, अधर अक
गोपी “गोपा 5 5 छ !” चिछ्लाकर वेहोश सी हो गयी | तब भेक छोरी
सी, मीठी सी, शर्मीछी गोपी- को शोर्य चढ़ा, गोया, ओर वह *जजबे में
आ कर,मुकत कंठसे गाने छगी
“प्रिया की नेन में ज्यों प्रीतम-छबव,
प्रिया की छव प्रीतम-नैनन में |
दीनदयाछ में बसे सदा हम,
हम में दीनदयाछ ॥ रे, मेरे प्राणन में नंदछाछ |” ||
१ बुल्ंद--मँची २ जज़वे-आवेश
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