ओथेलो | Othello
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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रांगेय राघव - Rangaiya Raghav
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विलियम शेक्सपियर - WILLIAM SHAKESPEARE
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला अंक १७
तैवेनशियो : है भगवान 1 वह् घर से भाग कंसे निकली ? मेरा रक्त
ही मुझे धोखा दे गया ? भरे पिताञ्रो ! आज से कभी बाहरी
बातो को देखकर ही अ्रपनी पुत्रियों पर विश्वास मत कर बैठना ।
रोडरियो ! ऐसे भी तो कुछ जादू-टोने होते है न जिनसे क्वारी
लडकियो की मति फेर दी जाती है, क्या तुमने ऐसी बातो के बारे
मे नही पडा?
रोडरिगो : हाँ श्रीमान्, पडा है ।
ब्रेबेनशियो : अरे मेरे भाई को जगा दो | रोडरियगो ! भ्रच्छा होता कि
तुम ही उससे विवाह कर लेते ! अरे, कुछ इधर जाओ, कुछ उधर
ढूंढो । ( नोकरों से कह कर फिर रोडरिगो से ) तुम्हे भी कुछ पता
है कि वह कहाँ होगी ? कहाँ होगा वह सूर !
रोडरिगो : शायद मे बता सकूं, लेकिन और रक्षक अपने साथ कर
लीजिये ओ्रौर मेरे साथ चलिये । |
द्रेदेनुशियो : कृपया तुम्ही वताओ्नो । मैं हर घर को वुलाऊँंगा ।
शायद ही मेरे वुलाए से किसी घर से लोग मेरे साथ चलने को
न निकले। ररे शस्त्र वाव लो । ! और हथियार ले लो ! रात के
लिये कुछ विशेष अफसरों को भी तत्पर करो । चलो मेरे अच्छे
रोडरिगो तुम जो कष्ट मेरे लिये उठा रहे हो, तुम देखना, मे
कभी तुम्हे उसका कद चुकाये बिना यो ही नही छोड दूंगा ।
प्रस्थान |
ह्श्य २
[ श्रॉयेलो, इमग्मागो का मश्ालें लिये हुए भनुचरों के साथ प्रवेश ]
इआगो : यद्यपि युद्ध-व्यापार मे मैंने हत्याएँ की है, लेकिन इसे मँ श्रपनी
चेतना का सार तत्त्व मानता हूँ कि कभी ठडे दिल से खून न किया
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