साबुन साजी | Saboon Saaji

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Book Image : साबुन साजी  - Saboon Saaji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हज - पैठा का स्वना ओर उनसे बने উহ चाहा. या पांच्य के साठन ऊ भुणा '. के अनुसार, तेल का निम्न श्रेणी-विभाजन- किया गया है:--- “ˆ १. नारिविल के तेल की श्रेणी-नारियूछ, खांकन, रोय. दि । ¢ ^ मंगफली के तेल न ... १. मूंगकछी के तेल की श्रेणी-सूंगफछी, तिछ, खस्सानी, विनोंछा आदि | महए के तेल की अ्ेणी-महुआ, नीम, कराजिया, ` आदि'{ `` द घचरताी का अगा-प्रागज चिकनाइया € फट.) ` `कोक्रम, मलवार चरत्री आदि | अल्ती कीं श्रेणी-अल्सी, करसम्व | ६. बरोजा या चिकने तेजाबों की श्रेणी--+वरोजा ओर ऐसे चिकने तेजाद ” जो:वेलों में एरण्डी के वीज का खमीरा- डालने से बनते हैं ६४ ह सावुनसाज की दुष्टि से इन सब श्रेणियों की विशेषताएं अछूग अलग हैं । কি কস एक़ श्रेणी के तेल, साबुन बनाने की ओर भौतिक दृष्टि से प्राव: एकसी .विशेषतार्ये 7 ५ रखते लि 1 = ^ ~ ^~ ` . लिए (पूर्ण सेपोनिफिकेशन अर्थात्‌ तेल व खार मेँ पूणे रासायनिक क्रिया के लिए ) अन्य तेलो कौ. अपक्वा अधिक खार की. जरूरत होती है] ये पानी ज्यादा .. उठा सक्रते हैं ओर इनमें सोडा सिलिकेट, घोवी सोडा, खाने का नमक ओर “चीनी मिद्ठी आंदि मिलछावरी चीजे भी अधिक खप सकती हैँ | इनकी रासायानिक क्रिया (सेपोनिफ्रिकेशन ). खार के तेज घोल में भी सुगमता से हो जाती है, और एक बार “सैपोनिफिकेशन ?. ( साबुन बनना.) झुरू हो जाने पर बहुत जल्दी:जल्दी ' होता. है ओर उतना गरमा नकरता इ [क सत्‌. चाच. चत्र. पु. याता हैं] सांवुन : उफन.कर बरतन के वाहर न निकल आवे इसकी बड़ी एडतियात, रखनी पड़ती है] इस अणी के तेल, विशेषतः- नास्यिल का तेल, ठण्डे तरीके से साबुन बनाने के लिए, विशेष उपयोगी हैँ | इन तेलों के वने हुए. साबुनों में दाना डालने के लिए नमक की. भी बहुत जरूरत प्रढती है, ओर दानेद्वार साबुन नमकोन पानी $ # नारियल के तेल की ओेणी-इस - अणी के तेलों से यूरा सावन .बनाने के. ১৯টি ^ তত মি বম




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