साबुन साजी | Saboon Saaji
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हज
- पैठा का स्वना ओर उनसे बने উহ चाहा. या पांच्य के साठन ऊ भुणा
'. के अनुसार, तेल का निम्न श्रेणी-विभाजन- किया गया है:---
“ˆ १. नारिविल के तेल की श्रेणी-नारियूछ, खांकन, रोय. दि ।
¢ ^ मंगफली के तेल न
... १. मूंगकछी के तेल की श्रेणी-सूंगफछी, तिछ, खस्सानी, विनोंछा आदि |
महए के तेल की अ्ेणी-महुआ, नीम, कराजिया, ` आदि'{ ``
द घचरताी का अगा-प्रागज चिकनाइया € फट.) ` `कोक्रम, मलवार
चरत्री आदि |
अल्ती कीं श्रेणी-अल्सी, करसम्व |
६. बरोजा या चिकने तेजाबों की श्रेणी--+वरोजा ओर ऐसे चिकने तेजाद
” जो:वेलों में एरण्डी के वीज का खमीरा- डालने से बनते हैं ६४ ह
सावुनसाज की दुष्टि से इन सब श्रेणियों की विशेषताएं अछूग अलग हैं ।
কি কস
एक़ श्रेणी के तेल, साबुन बनाने की ओर भौतिक दृष्टि से प्राव: एकसी .विशेषतार्ये
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. लिए (पूर्ण सेपोनिफिकेशन अर्थात् तेल व खार मेँ पूणे रासायनिक क्रिया के
लिए ) अन्य तेलो कौ. अपक्वा अधिक खार की. जरूरत होती है] ये पानी ज्यादा ..
उठा सक्रते हैं ओर इनमें सोडा सिलिकेट, घोवी सोडा, खाने का नमक ओर
“चीनी मिद्ठी आंदि मिलछावरी चीजे भी अधिक खप सकती हैँ | इनकी रासायानिक
क्रिया (सेपोनिफ्रिकेशन ). खार के तेज घोल में भी सुगमता से हो जाती है, और
एक बार “सैपोनिफिकेशन ?. ( साबुन बनना.) झुरू हो जाने पर बहुत जल्दी:जल्दी
' होता. है ओर उतना गरमा नकरता इ [क सत्. चाच. चत्र. पु. याता हैं] सांवुन
: उफन.कर बरतन के वाहर न निकल आवे इसकी बड़ी एडतियात, रखनी पड़ती
है] इस अणी के तेल, विशेषतः- नास्यिल का तेल, ठण्डे तरीके से साबुन बनाने
के लिए, विशेष उपयोगी हैँ | इन तेलों के वने हुए. साबुनों में दाना डालने के
लिए नमक की. भी बहुत जरूरत प्रढती है, ओर दानेद्वार साबुन नमकोन पानी
$
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नारियल के तेल की ओेणी-इस - अणी के तेलों से यूरा सावन .बनाने के.
১৯টি ^ তত
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