उत्तरांचलक्षेत्रों में निर्वनीकरण और ग्रामीण स्त्रियों की समस्याएं | Uttranchal Kshetra Me Nirvanikaran Aur Gramin Striyon Ki Samasyayen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जँगल .व पर्याप्त पेयजल उपलब्ध धा लेकिन बढ़तो जनसंख्या व वनों के वाणिज्य उपयोग करने के कारणा वन विनाशा का सौधा परमाच आस पेयजल पर पड़ रहा है। बहुगुण ६1१8११५ ने भौ लिखा है 'कि पिछले दो दशाकों में प्रासन कौ वन नोति और जनसंख्या के बढूते दबाव ने वनौ में भधानक तबाही कौ है। इतका सोधा प्रभाव हियालय को मिट्टी! और पानो के स्त्रोतों पर पड़ा है। , तारौ उपजाऊ দিত गैटानों को ओर बह रहो: + और पेड़ों के कटान ' के कारणा भूमि को जल धारणा शाक्ति कय हो गई है। और पानो के स्त्रोत सूखते जा रहे हैं। जिस वजह में पोने के पानो को भरने के लिये काफो फासला तथ करना पड़ता है । य पि सरकार द्वारा सभौ गामों में सन्‌ 1990 तक पेयजल को समस्या दूर करने का लक्षय रखा था लेकिन अभो भौ पर्वतीय क्त्र में तरमस्यागरस्त गाव है। हमारे चयनित गाव कौ लगभग 17.0 प्रतिगत स्रियीं । ने पेयजल को समस्या बतायो है उनमें ते लगभग 2५.0 प्रतिंगात स्त्रियों ने पेपजल का दूरं उपलब्ध होना तथा 5%,0 प्रतिशत ने गर्मो' के दिनों में पेयजल কাল सूखने कौ समस्या बतायौ। गमौ के दिनों में पेयजल स्त्रीज्ञीं में कमो होते के कारणम लगभग 21.0 प्रत्त स्त्रियों ने पक्ति हकर या क्रम से पेयजल बर्तनों को भरने को बात बताथो जिसमे स्त्रियों को अच्छा खासा समध बबादि करना पड़ता टै] जिन गांवाँ में जन्न संस्थान/जल निगम द्वारा पेयजल उपलब्ध कराया जात्ता है उन गांवों में नली के दूने पा खराब होने पर ठोक न करने কী समस्या लगभग 16.0 प्रतिशत स्वियौ ने बतायो क्योफि एक तरपः पेयजल के मूल स्त्रोत वे गावो में नलों के द्वारा पानों घर-घर देने का प्राविधान किया है ती दूरौ तरफ नलौ तै पेपजल व्यवस्था ठीक नदहीनेकै कारणा . गमवात्तौ मूल जल स्त्रोतः के अभाव कै कारणा ब्वधर-उधर के पेयजल स्त्रीतौ कौ : ` खीज में लगते हैं जिससे स्त्रियों के कष्ट में बृद्धिं होतोः है। ताद्ारणात्या : - हमारे चयनितं गां भ बहर, गल, नौला कुजा, नदौ तथा नलौ घे पौन का पानौ -लिया-जात्ताः है। साधारण्यतयाः बरसात के. दिनी म ঘুচল होने ले गृल दब জাতী জিমি কাত पैयजल लाने के লি दुर जाना पड़ता है| 7. जा




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