विकलांगो के लिए रोजगार | Viklango Ke Liye Rozgar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
189
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)16 / विकलार्गों के लिए चैजगार
हो गई हो और उसका आई०क्यू० स्तर कम हो गया हो |
भानसिक शेगी : जो व्यक्ति किसी मानसिक रोग से ग्रस्त हो, उसे मानसिक
रोगी माना जाएगा।
उपरोक्त प्रकार की विकलांगता की जाँच करके सत्यापित करने और प्रमाण-
पत्र जारी करने का अधिकार सरकार द्वारा निर्धारित अस्पतालों और संस्थानों को
होगा। ऐसे अस्पतालों के डॉक्टरों का बोर्ड जाँच करके प्रमाण-पत्र जारी करेगा
और इस प्रमाण-पत्र में विकलांगता का प्रतिशत लिखा होगा। 40 प्रतिशत या
उससे अधिक विकलांगता होने पर व्यक्ति विकलांग माना जाएगा। 80 प्रतिशत
या उससे अधिक विकलांगता का शिकार व्यक्ति अत्यंत विकलांग माना जाएगा।
बिकलांगता के कारण होने जाली हानि : विकलांगता के कारण दो प्रकार
की क्षति होती है :
(1) शारीरिक क्षति
(2) मनोवैज्ञानिक क्षति
शारीरिक क्षति : विकलांगता को परिभाषा से ही इस बात का अंदाजा
लगाया जा सकता है कि विकलांगता के कारण मनुष्य के शरीर मे कितनी क्षति
होती है और उसकी शारीरिक क्षमता किस कदर बाधित होती है।
नेश्नहीन व्यक्ति देख नहीं पाता है, यदि उसकी बेहतर आँख में दृष्टि 6/60 से
कम होगी तो वह नही के बराबर देख पाएगा । च्यादा से ज्यादा वह अंधकार या
प्रकाश में फर्क महसूस कर पाएगा या यदि कोई व्यक्ति उसके सामने आकर
खड़ा हो जाएगा तो उसको एक छाया-सी दिखाई देगी। इसके अतिरिक्त कभी-
कभार ऑपरेशन के बाद या दुर्घटनावश दृष्टि सीमित भी हो जाती है और वह
अपनी पुतली नही घुमा पाता है। उसका दृष्टि-क्षेत्र अत्यंत सीमित हो जाता है।
अल्प दृष्टिवान व्यक्ति विशालक यंत्र लगाकर थोड़ा-बहुत पढ़ पाता है। बह कोई
वाहन वगैरह नहीं चला पाता | सड़क पर चलते समय दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा
काफी होता है |
कुष्ठ रोग के कारण अंग टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं | अंग गल भी जाते हैं । ज्यादातर
रोगियों के अंग इलाज के बाद भी सुन्न हो जाते हैं और उनमें संवेदनशीलता
लगभग समाप्त हो जाती है। ऐसे व्यक्तियों को चोट लगती है तो पता नहीं चलता
है और बाद मे बड़ा घाव हो जाता है | कुछ रोगियों के अंग अक्सर जकड़ जाते हैं
और घूम नहीं पाते हैं
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