श्री स्वामी रामतीर्थ | Shree Swami Ramtirth
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सत्य का मार्ग, „ ४
५
को श्रपने श्रन्तः करणो मे श्रित करवा लेने का, उख सद्ा
चार (धर्म) रूप शर को अपनी हस्ती में चिभित करवाने
या भोदवा लेने का, जब समय आता है, तब थे डंक वा डंक
की वेदना नदीं सद सकते; तब ये यो आगा-पीछा करते
लगते दै कि “वस्तु तो में चाहता हूँ. पर दाम न दूँगा। ^
ईश्वरामुभव और सत्य को प्राप्त होने फे लिए, तुम्दारी
प्यारी से प्यारी कामनायें और इच्छये श्रार्पार छेदी
জাগা) तुम्हें अपनी प्रियतम वासनाओं रोर श्रासक्षियां
को काटना होगा, तुम्हे अ्रपने सकल प्यारे श्रन्ध विश्वासों
और पक्चपातों फो मिंदा देना होगा, तुम्दें अपनी सघ
पूर्वं कश्ित कट्पनाश्रौ को काट कर फे देना ्ोगा।
नीच और तुच्छु बनाने वाली सब आकांक्षाओं से तुम्दे
अपना पिंड छुटाना होगा, तुम्दें अपने को पाविच फरना
पड़ेगा | विशुद्धता, चिशुद्धता | बिना दाम दिये तुम ईश्वर
को नहीं पा सकते, तुम अपने जन्म ज़ात स्वत््व को जाम
नहीं कर सकते | शुद्ध हृदय वाले धन्य हैं, क्योकि उन्हे _
परमेश्वर के दशेन होंगे । ओर हृदय की बिमल्नता क्या वस्तु
है? केचल वैवाहिक पापौ से वचने दी का नाम दृदयं की
২১) ১৬ ০৯২ $, শি
शुद्धता नहीं ই। ये तो उसके श्रथ हैं दी, किन्तु ओर भी
बहुत कुछ उसके अथे हैं। आज ये बचन तुम्दे चाहे স্ব খা
न रचे, किन्तु प्क दिन श्रवेशा जव ये तुम्हे अचश्य रुचेंगे,
आज या कल तुम्हें इसी नतीजे पर पहुँचना हीं पड़ेगा।
नतीजा यह है कि आसक्षि मात्र,बद्द चाहे आपको अपने धर
से हो या घड़ी से,या अपने कुत्ते ल हो, अथवा पिता, माता था
बच्चे से,अर्थात् किसी सौ से भी आखक्तिसत्य के जिज्ञास
के लिए, इसी षण पूर सत्य पर अधिकार पाने के इच्छुक
শব च,
के लिए, उतना ही नींच और.ढुबेल बनाने धात्री है जितना
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