चिद्बिन्दु विद्या तथा अन्य दार्शनिक कृतियाँ | Chidbindu Vidhya Tatha Anya Darshanik Kratiyan

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Chidbindu Vidhya Tatha Anya Darshanik Kratiyan by शिवानन्द शर्मा - Shivanand Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सक्षिप्त परिचय ६ की रॉयल सोसाइटी का सचिव था, वह १६७० से ही ब्रिटेन के गणितज्ों के अनु- सम्धानों का पता लगाने का प्रयत्त कर रहा था । किन्तु गणित-जैसे अमूते विषय में किसी उल्लेखनीय सफछता के लिए काफी परिश्रम की आवश्यकता थी । लाइववित्स वहुत महत्त्वाकाक्षी व्यक्ति था। वह किसी विषय कता अल्पक नही बनना चाहता था 1 सम्भवत किसी आख्येय आविष्कार का श्रेय प्राप्त करने तक वह्‌ अज्ञात भी नहीं रहना चाहता था। इसलिए उसने पैस्कर का अध्ययन कर उसके अनुकलन-यन्त्र में सुधार करने का प्रयत्त किया । लगभग एक वर्ष उसे इसी काये में लगा रहना पडा। १६७३ के आरम्भ में वह एक ऐसा यन्त्र बनाने में सफल हुआ जो जोडने और घटाने के अतिरिक्त गुणा-भाग करता था और व्गमूरु निकालता था। इसी वीच उसके सित्र एवं सरक्षक बैरन बॉइनबर्ग की मृत्यु हो गयी और उसे अपने राजनीतिक उत्तरदायित्व के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता प्रतीत हुई। जमेन राज्यो कौ गोर से एक प्रतिनिधि-समिति ई से मिलने गयी थी । मन्य के निर्वाचक ने लाइवनित्स को आदेश भेजा था कि यदि इस समिति को पेरिस में सफलता न मिलने के कारण ब्रिटिश पालियामेन्ट के प्रतिनिधियों से मिलने रूदन जाना पडे, तो वह भी उसका साथ दे | अत लाइबनित्स को भी रूदन जाना पडा । लगभग सात हफ्ते रून्दन में रहने के चाद उसे मेन्क के निर्वाचक की मृत्यु की सूचना पाप्त हुई और वह पेरिस छौट गया । अब उसका कोई वैतनिक उत्तरदायित्व नही रह्‌ गया धा । इसलिए उसने और भगम्भीरतापूर्वक गणित का अध्ययन प्रारम्भ कर दिया । लन्दन में ओल्डेनवर्ग की सहायता से बहू राब्ट व्वाइल से मिला था | उसी के यहाँ पेलू नामक गणित्तज्ञ से उसकी भेंट हुई थी । लछाइवनित्स ने बातचीत के सिलसिले में पेलू से वताया था कि उसने ससीम सख्याओ के जोडने की कुछ विधियाँ निकाली थी और उत्तर में पेलू ने उसे मोटन तथा मर्केटर की पुस्तको की सूचना दी थी । पेरिस आकर उसने उन सव पुस्तको का अध्ययन किया । ओस्टेनवग्गं के भाध्यम से न्यूटन के कामे का पत्ता ऊग्ाने का प्रयत्त करता रहा और अन्त सें (१६७५) उसने अपोे 'भेदीय कलन की लिपि का आविष्कार कर लिया । इस आविष्कार को लेकर, लाइवनित्स के अध्येताओ में वडा मतभेद रहा है ।




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