लोजा नस के उदात्त तत्त्व सिद्धान्त के आधार पर निराला काव्य का अध्ययन | Loja Nas Ke Udatt Tattv Siddhant Ke Aadhar Par Nirala Kavya Ka Adhyayan

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Loja Nas Ke Udatt Tattv Siddhant Ke Aadhar Par Nirala Kavya Ka Adhyayan  by प्रवेश कुमार सिंह - Pravesh Kumar Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(1) अंतरंग तत्व | (2) बहिरंग तत्व | (3) विरोधी तत्व | (1) अन्तरंग तत्वः- लौजाइनस ने अपनी पुस्तक “आन दि सब्लाइम' मँ ओदात्य के पॉच उद्गम स्रोतों का निर्देश किया है, जिनमें दो जन्मजात या अंतरंग हँ ओर शेष तीन कलागत। इन তাঁতী मे प्रथम ओर सर्वप्रमुख है. महान धारणाओं की क्षमता... दूसरा है उद्दाम ओर प्रेरणा-प्रसूत आवेग। ओदात्य के येदो अतएव लगभग जन्मजात होते हँ अर्थात्‌ इन दोनों तत्वों का संबंध आत्मा की गरिमा से हैः “इसलिए इस विषय में भी......यथा सम्भव हमें अपनी आत्मा में उदात्त विचारों का पोषण करना चाहिए ओर उसे भव्य प्रेरणाओं से परिपूरित रखना चाहिए । इसको इस प्रकार भी कहा जा सकता है कि “ओदात्य महान्‌ आत्मा की प्रतिध्वनि हे।“ इस प्रकार उदात्त के दो अंतरंग तत्व है : उदात्त-विचार ओर परेरणा-प्रसूत अवेग इन दोनों में भी मुख्य है- आवेग। “मेँ यह बात पूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हू कि जो आवेग उन्माद उत्साह के उद्दाम वेग से फूट पड़ता है और इस प्रकार से वक्ता के शब्दों को विक्षेप से परिपूर्ण कर देता हे, उसके यथा-स्थान व्यक्त होने से स्वर में जैसा ओदात्य आता है, वह अत्यन्त दुर्लभ हे।' लौजाइनस ने केवल प्रेरणा-प्रसूत भव्य-अवेग को ही ओदात्य का उद्गम माना है। आवेग के सभी रूप उदात्त नहीं होते ओर स्वभावतः वे उदात्त- कला की सृष्टि नहीं कर सकते। अतः ओदात्य ओर आवेग को पर्याय मानना भूल होगी । भव्य आवेग सरे अभिप्राय एसे आवेग का है जिससे “हमारी आत्मा जैसे अपने आप ही ऊपर उठकर गर्वं से उच्चाकाश में विचरण करने 1. काव्य मे उदात्त तत्व (ड नगेन्द्र) पृष्ठ-53-55 13




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