दास पुष्पांजली | Das Pushpanjali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
68
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)याद् रख १५
ॐ 1
~ ~~~ পি
वृषल से कारू? सिफ़तः क्या साक फल पाएगा तू ।
साथ दौलत के ज़मीं में दफ़्न” हो जाएगा तू ॥ ३ ॥
डक तेरे ऐमाल* ही जायेंगे तेरे साथ साथ ।
ओर क्या इसके सिवा दुनिया से लेनाफएगा त् ॥ ४ ॥
चार दिन की जिन्दगी प्रर युश्तेखाकः इतना गरूर ।
नर्यो वात्तिल० की तरद दुनिया से .मिट जाएगा तृ1५॥
आखिरत की लाल गर चेतो नेकी कर सदा \
'मालो दौलत सब ग्रहीं पर छोड़ कर जाएगा तू ॥ ६
ये जो है अहवावर तेरे सव नी फे यार है ।
दारे फ़ानीः से अकेला ही फएकृत जाएगा तू ॥ ७ ॥
जैसी करनी बसी भरनी यह मसल मशहूर ই।
-काम गर अच्छा करेगा अच्छा फल पाएगा तू ॥ ८॥
-दौलतों हशमत*० में हरगरिज्ञ “दास” मत कीजो অর্জন 1
'आल्मेफानी से खाली हाथ ही जाएगा तू || ६ ॥
१ कंजुस २ खजाना ३ तरद्द ४ गड़ना५ कर्म ६ सुट्टी भर
-मद्टो के पुतले, चुलवुला म दोरुत & फ़ना-छोने वाली दुनिया!
-१० शानो-शौकत
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