दास पुष्पांजली | Das Pushpanjali

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Das Pushpanjali by श्रीयुत दास - Shreeyut Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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याद्‌ रख १५ ॐ 1 ~ ~~~ পি वृषल से कारू? सिफ़तः क्या साक फल पाएगा तू । साथ दौलत के ज़मीं में दफ़्न” हो जाएगा तू ॥ ३ ॥ डक तेरे ऐमाल* ही जायेंगे तेरे साथ साथ । ओर क्या इसके सिवा दुनिया से लेनाफएगा त्‌ ॥ ४ ॥ चार दिन की जिन्दगी प्रर युश्तेखाकः इतना गरूर । नर्यो वात्तिल० की तरद दुनिया से .मिट जाएगा तृ1५॥ आखिरत की लाल गर चेतो नेकी कर सदा \ 'मालो दौलत सब ग्रहीं पर छोड़ कर जाएगा तू ॥ ६ ये जो है अहवावर तेरे सव नी फे यार है । दारे फ़ानीः से अकेला ही फएकृत जाएगा तू ॥ ७ ॥ जैसी करनी बसी भरनी यह मसल मशहूर ই। -काम गर अच्छा करेगा अच्छा फल पाएगा तू ॥ ८॥ -दौलतों हशमत*० में हरगरिज्ञ “दास” मत कीजो অর্জন 1 'आल्मेफानी से खाली हाथ ही जाएगा तू || ६ ॥ १ कंजुस २ खजाना ३ तरद्द ४ गड़ना५ कर्म ६ सुट्टी भर -मद्टो के पुतले, चुलवुला म दोरुत & फ़ना-छोने वाली दुनिया! -१० शानो-शौकत




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