बापू के कदमों में | Bapu Ke Kadamo Me
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
324
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बापू के कदमो में ও
फी कही हुई बातो की पुष्टि हुई । चम्पारन के रैयत इतने जरसे से सताये
गये थे कि वे लोग डरपोक हो गये थे ओर उनकी हिम्मत नीलवरो के खिलाफ
कुछ कहने की भी नही होती थी। नीलवरो का गवर्नमेंट के अधिकारियों
पर बहुत प्रभाव था और उनके मिन्र तथा सहायक स्थानीय अफसरो
से लेकर विलायत तक में थे । उनके जुल्म की खबर स्थानीय अफस्तरों
को मिला करती थी, पर वे भी रैयतो की कोई विशेष मदद नहीं कर
सकते थे । हाँ, जो सच्चे और नेकनीयत होते वे गवनंमेंट के पास गुप्त
रिपोर्ट भेज दिया करते तथा जब मामला बहुत विगड जाता तो गवर्नमेंट
भी कुछ नाम-निहादी कार्रवाई कर दिया करती, जिसका कोई विशेष फल
नहीं होता । कभी-कभी रैयत भी बिगड जाते और वलूवा-फसाद कर देते ।
एकाच नीरुवरं को दो-एक वार मार भी डाला था और उनकी दो-एक
'कोठियो को जला भी दिया था, पर इस प्रकार के वलरूवा-फसाद का नतीजा
यह होता कि वे और भी पीसे जाते । कचहरियो द्वारा फाँसी और कैद की
च्पजा के अछावा दूसरे प्रकार की भी सजाएंँ उनको मिलती । उनके खेत
और घर सब लूट लिये जाते, माल-मवेशी भगा दिये जाते, घरो में आग
छगा दी जाती और वे खुद भी पीटे जाते तथा बहुतेरों की तो बहू बेटी की
इज्जत भी वरवाद की जाती । फसाद के बाद उनको नीलवर तथा सरकारी
कर्मचारी इतना दवाते कि बहुत दिनो त्तक जिला-भर में मौत की-सी शान्ति
(विराजती ! जिस इलाके में फसाद होता वहाँ अतिरिक्त पुलिस बंठा दी
जाती, जहाँ उसका यह काम होता किं रयतो को लृट-खसोटे । इसके
अलावा, पुलिस का तारा खचं भी मवनेमेंट उनसे ही वसूल करती!
“दो-एक वार गवनंमेंट ने जाँच करने के लिए विशे अफसरो को भेजा मौर
उनकी रिपोट कुछ हद तक रैयतो के पक्ष में हुई, पर कॉसिल में बहुत
“चर्चा होने पर भी वह प्रकाशित नही की गई । रैयत इतना डर गये थे कि
किसी দীতন या उसके कर्म चारी के विरुद्ध किसी किस्म की शिकायतें लेकर
किसी अदालत या कचहरो में नही जाते थे । जब उनकी शिकायतें कौंसिल
में पेश की जाती तो गवनंमेंट का उत्तर यही होता कि उनकी कोई शिकायत
अगर होती तो वे खुद ही अदारुत में पेश करते, पर वे ऐसा कुछ करते नही,
इसलिए यह तो बाहर के कुछ आन्दोलन करनेवालो की ही गरारत हैँ कि
नीलवरो की इतनी शिकायत करते हू | ऐसा भी देखा गया था कि कोई
रेयत अगर हिम्मत करके अदालत में नालिश करनें के लिए पहुँचता भी, त्तो
भीलवरो के आदमी वहाँ लगे रहते और उसे मजिस्ट्रेट के सामने ही इजलास
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