जैन तत्त्व शोधक ग्रंथ | Jain Tattva Shodak Granth

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Jain Tattva Shodak Granth by श्री टीकमदास - Shri Teekamdas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४ ) अजीव तत्व के दो मेद - । (१) रूपी अजीब (२) अरूपी अजीब | इनके पांच भेद निम्न हैं :--- (१) धर्मास्तिकाय (२) अधर्मा स्तिकाय (३ ) आकालास्तिकाय (४) कारास्तिकाय एवं (५) पुद्गलास्तिकाय । उत्तर भेद अजीब तत्व के १४ भेद यतलाये हैं - [१] षर्मास्िकाय [२] अधर्मास्तिकाय [३] मकास्तिकाय इन तीनों के तीन तीन भेद होते हैं -- [१] स्कन्ध [२] देश [३] प्रदेश । इन तीनों से तीन बार गुणा करने पर नौ भेद हुए और काल द्रव्य मिलकर दस भेद हुए । इनमें पुद्गलास्तिकाय कै स्कन्ध, देश, प्रदेश ओर परमाणु पुद्गल मिलने पर चौदह भेद हुए । टिप्पणी-अथवा इनको निम्न प्रकार से भी समझा जा सकता हे अजीब के दो भेद :-[१] रूपी अजीब [२] अरूपी अजीव रूपी अजीव के चार भेद' ८ रूपी का पर्याय 1 य पुद्गल होता है अतः उपयु क्त विवरण में रूपी अजीव को पुद्गला- स्तिकाय में लिया है । ) [१] स्कंध [२] देश [३] प्रदेश एवं [४] परमाणुपृद्गल |




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