भारत के प्रमुख उद्योग | Bharat Ke Pramukh Udyog

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Bharat Ke Pramukh Udyog  by वेदप्रकाश सिंह - Vedaprakash Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ भारत के प्रमुख उद्योग [ कपि उत्पादन : खाद्यातन उत्पादन का आघार वर्ष १६४६-५० झोष षि ঞ ০ | 4८ जन्य वस्तुनो का आधार-वर्ष ५०-५१ | प्रथम पंचवर्षीय योजना के पचि वर्षों में हमारे कपि-उत्पादन में जो वृद्धि है उसके आंकड़े इस प्रकार हैं--- ১৮ পপ পাক |. इकाई ५१-५२ | ५२-५३ | ५३-५४ ५४-५५ ५५ | | | कृषि सामग्री ५५.२३ | ५५ १. अनाज १० लाख टन ४३९ | ४६.२ २. कुल खाद्यान्न १० लाख टन ५१.२ | ५.३ | क्‍ ३. तेलहन लाख टन ४.६ ४७ ५.३ ४. गन्ना : गर : लाख टन ५. 1 ५ ^ + इ লন | ५८.२ , | ৃ | ट्र । 1 |+ এ 6 प [+ = < +< ০ © সর न # खिल कपास १० लाख ठ ३.१ ३.२ ३.६ ~ „> ० ^ ^< পু | 22 जूट १० लाखबांढें. ४.७ | ४.६ | ३.१ | २.६ --इण्डिया एट ए ग्लांस पस्तक রা ০. ৮১ उद्धा ` उक्त आंकड़ों से यह भली भांति स्पष्ट है कि कृषि उत्पादन में हमने आशातीत ` वृद्धि कर ली है और द्वितीय पंचवर्षीय योजना की अवधि में शेष कमी भी पूरीकर ` लेंगे। यह सफलता केन्द्रीय और राज्य सरकारों के सतत प्रयत्नों, नवीन और उन्नत ` कृषि विधियों, रासायनिक खादों, अच्छे बीजों, सिंचाई सुविधा के विस्तार दारा ` प्रौर जापानी ढंग से घान की खेती करके प्राप्त की गई है। . चुः =. विकास की ब्राघार-शिला लेकिन कृषि-उतादन में वृद्धि करने पर विशेष तौर पर जोर देने के साथ-साथ हमने देश के श्रौद्योगिक विकास की आधार शिला रखने का भी भरसक प्रयत्न किया. है, ताकि द्वितीय पंचवर्षीय योजना के अन्तर्भत हम उद्योगों के सर्वांगीणा विकास पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकें | हम पहले ही कह चुके हैं कि जब पश्चिमी संसार में औद्योगिक _ कान्ति के लक्षण भी दृष्टियोचर नहीं थे, भारत की उद्योग एवं व्यवसाय और वाणिज्य गने चरम उत्कं प्र थी। भारतीय पोत भारत में निमित अनेकानेक वस्तुएँ রী? “दीपान्तरों में जाते थे। आज अमेरिका और ब्रिटेन जहाज रानी के क्षेत्र में वन मानं जते हैं परन्तु कोई समय ऐसा भी था जब इंगलैंड आदि ग्रनेक देशों के अन्दरवाहा पर भारतीय पोतों को देखने के लिए भ्रच्छी खासी भीड़ एकत्र हो जाती रौर मजबूती देखकर उनका मन ललचा उठता थां। कुशल क.




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