श्रीवत्स | Shrivats

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Shrivats by कैलाशनाथ भटनागर - Kailashnath Bhatanagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला अंक पहला दृश्य स्थान--इंद्रपुरी में इंद्रदेव का विश्राम-भवन समय--संष्या से पूवं < इ रख्.खचित स्वर्णमय सिंहासन पर विराक्षमान हैं। दर तक रक्तांबर बिछा हुआ है। कई स्थानों पर सुगंघ-पात्रों . में से सुवासित धुएँ के बादल हठ रहे हैं। अप्सराएं नुस्य कर रही हैं।) ( गीत ) आओ सुख फे गाने गाओ ! , नभ में विहग चहकते श्रते, परभुर मिलन के गाने गाते, „ गगन-भूमि निज टय मिलते, =, ` ˆ ॥ तुम भी आओ, हृदय बिछाओ ! आश्ो सुख के गाने गाओ।! तारो से नभ भर जाएगा मधुरं सुधा शति बरसा भ्‌ पर ज्योत्स्ता फेलाएगा आओ्रों नुम भी स्मित छिटका थ्रो आओ. सुख के गाने गाओ !




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