काशी का मान मंदिर | Kashee Ka Man - Mandir

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Kashee Ka Man - Mandir by प्रो. चंडीप्रसाद - Prof. Chandi Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कोशी का सानमेंद्र ७ फुट ४ इंच व्यास का बृत्त अंकों सहित खुदा है और बीच में दक खरी परछाहीं डालने के लिये लगी है। इस य्न ॐ द्रण शरोर ऽसी चनूतरे पर एक चौकेर प्थर का खंभा । ५६८५३“ मोटा खड़ा है । सभे ॐ दक्ञिण शष्ठ मेँ इसके मस्तक पर एक चिद्र 'है, जिसमें संभवतः खूँटी रही होगो। इस बात का निश्चय करना कि खंभा किस लिये बनाया गया था, कठिन है। क्या इस तटी से सेकेंड दौलक ज्टकाया जाता था ९ इस खूँटी की ऊँचाई ऐसी है कि दोलक लंबे क्लाक ॐ दौलक की भाँति एक सेकेंड में एक ओर से दूसरी ओर तक पहुँचता । भांड़ीवलय यंत्र ; चिन्न सें० ३ इस खंभे के पश्चिम तरफ ऊपरी भाग में एक रेखा भूँमि की घुरी के डीक समानांतर है। नाडी-बलय में जे। लेहे कीं खूँटी है यदि वह कभी हट जाय तो इस रेखा से ठीक की जा सकती है। सप्ाटु-यंत्र '--दो सम्राट यंत्र हैं। दिगंश-यंत्र के पश्चिम में उसके निकट तो एक छोटा और दूर पर एक बड़ा। बड़े सम्रोद्‌ यंत्र में बींच में १-- सम्राट की अपेक्षा सम-रात शब्द अधिक उपयोगी হারা । वह पत्र विधव पर निर है। श्रैंगरेजी मे 8१००४ शब्द का श्रयं सम-रत दै परु




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