सम्पूर्ण गांधी वाड्मय | Sampurna Gandhi Vaangmay, Vol-65

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पाठकोंको सुचना हिन्दीकी जो सामग्री हमें गावीजीके स्वाक्षरो्में मिली है उसे अविकल रुपमें दिया गया है। किन्तु दूसरों द्वारा सम्पादित उनके भाषण अथवा छे आदियें हिज्जोकी स्पष्ट भूलें सुधार दी गई हूँ। अंग्रेजी और गृजरातीसे अनुवाद करते समय उसे ययासम्भव मूलके समीप रखनेका पुरा प्रयत्व किया गया है, किन्तु साथ ही भाषाकों सुपाद्य वनानेका भी पूरा ध्यान रखा गया है। जो अनुवाद हमें प्राप्त हो सके है, उनका हमने মৃত মিজান জীব संशोधन करनेके बाद उपयोग किया है। नामोको सामान्य उच्चारणके अनुसार ही लिखतेंकी नीतिका पान किया गया है। जिन नामोके उच्चारणमें संशय था, उनको वैसा ही छिखा गया है जैसा गांधीजीने अपने गुजराती छेखोमें लिखा है। मूल सामग्रीके वीच चौकोर कोष्ठकोमे दिये गये अंश सम्पादकीय हैं। गांधीजीने किसी लेख, भाषण आदिका जो अंश' मूल रूपमें उद्धत किया है, वह हाशिया छोडकर गहरी स्याहीमं छापा गया है । छेकिन यदि ऐसा कोई अंश उन्होने अनूदित करके दिया है तो उसका हिन्दी अनुवाद हारिया छोडकर साधारण टाइपमें छापा गया है। भाषणोंकी परोक्ष रिपोट तथा वे छब्द जो गांधीजीके कहे हुए नही हैं, बिना हाशिया छोड़े गहरी स्यथाहीमें छापे गये है। भाषणों और भेंटकी रिपोर्टोंके उन अंशोमें जो गांघीजीके नही हैँ कुछ परिवर्तत किया गया हैं और कही-कही कुछ छोड़ भी दिया गया है। शीर्षककी लेखन-तिथि दार्ये कोनेंमें ऊपर दे दी गईं है; जहाँ वह उपलब्ध नही है, वहाँ अनुमानसे निद्िचत तिथि चौकोर कोष्ठकोंमें दी गई है और आवदयक होनेपर उसका कारण स्पष्ट कृर दिया गया है! जिन पत्रोंमें केवछ मास या वर्पका उल्लेख है उन्हें आवश्यकतानुसार मास या वर्षके अन्तर्मे रखा गया है। दीपेकके अन्तमं साघनः-सूत्रके साथ दौ गई तिथि प्रकाशनकी है। गांधीजीकी सम्पादकीय टिप्पणियां गौर लेख, जहाँ उनकी लेखन-तिथि उपलरूब्ध है अथवा जहाँ किसी दृढ़ आधारपर उसका अनुमान किया जा सका है, वहाँ छेखन-तिथिके अनुसार गौर जहाँ ऐसा सम्भव नहीं हुआ है, वहाँ उनकी प्रकाशन-तिथिके अनुसार दिये गये हं। নন্দ




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