विविध आचार्यों द्वारा व्यञ्जना - रक्षार्थ प्रयुक्त युक्तियों का आलोचनात्मक अध्ययन | Vividh Aacharyon Dvara Vyanjana - Raksharth Praktiyon Ka Aalochanatmak Adhyayan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vividh Aacharyon Dvara Vyanjana - Raksharth Praktiyon Ka Aalochanatmak Adhyayan  by हरिप्रिया - Haripriya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हरिप्रिया - Haripriya

Add Infomation AboutHaripriya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अन्य प्रस्थानों में लक्षणा का আহিল सिद्ध हों जानें पर काव्यशास्त्र में लक्षणा का जौ स्वस्य हैं, उसें यहाँ पर प्रस्तुत किया जा रहा है - लक्षणा शब्ब जक्ष धातु - युच्‌ प्रत्यय ~ पस्त्यं टाप्‌ करनं पट बनता हैँ | + वरिष्ठ ध्वनिवावी जाचार्य अमिनवगप्त के मनुस्तार - मृख्यार्थ बायावे सहकारियों की अपेक्षा से अर्थ की प्रतीति कराने वालीं शॉक्त लक्षणा है - मुचख्यार्थ बाधाविस्सह्कार्येपैक्षा प्रतिमासनशाक्तर्लक्षणा शक्ति) | 2 अभिनवग॒प्स से पहले यति हम पफमलंकार-शास्त में लक्षणा की स्थिति वेखना चाहें तो वहाँ मी लक्षणा के स्पष्ट संकेत मिलते हैं । उदम्भट ने सपक के प्रसंग में गुणवस्ति का उल्लस किया है । 3 आचार्य वामन तो লঙ্গাকিল কী प्लाटश्यप्म्बन्धरूपा लक्षणा दही मानते टै । ~ आचार्य म्रम्मट ने काव्य-प्रकाश मेँ लक्षणा का निस्पण इम्त प्रकार किया हैं - | ” प्ुष्व्यार्धनाष्ये त्योग सदितोडय प्रयोजनात्‌ 'मन्योडर्थों लक्ष्यों यत्‌ লা लक्षणारोपिता क्रिया “ ।> 1. लक्षणाशब्बश्च सलन्नभयातोर्यचप्रत्यये হিসআাভানি सिद्धयति~-न्यायकोाशः | पु. 599 2. ध्व. लोचन. प्र उ- पृ. 9 3... शब्वानाममिधानममिषा व्यापारों मुख्त्यों गुणवत्तिश्व । ' काव्यालकारसारसंग्रह - + 44 4... प्रलाहृश्याल्लक्षणा वक्रॉक्तिः | क्‍ - का. प्र. वु. - 4 |3 |8 5 . काव्य प्रकाशश्च ~ न्ितीय उल्लास - पृ. 54




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now