तूफ़ान | Tufan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
81 MB
कुल पष्ठ :
238
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“ठीक है, में घोड़े को खोले देती हूं। वह भी ज़रा आराम कर
ले, में भी च््र-चूर हो गई हूं। उफ़, बड़ी गरमी' है।
बूढ़े ने उसके धूप में सूखे गालों और काली आंखों पर एक नज़र
डाली। चारों ओर की कालिमा के कारण आंखें और- भी प्रधिक कजराई
लगीं ।
“लगता है कि तुम बिलकुल थक गई हो! ”
“ये लोग मुझे मार डालते हैँ, इनका बुरा हो! .. इस तरह
मुझसे अब और नहीं रहा जाता ... न दिन में एक पल को चेन मिलता
है, न रात को... भरपेट खाना ही दे दे, तो भी बहुत है, मैं तो हर
वक्त भूखी रहती हूं... इस हफ़्ते घास काटनी पड़ी, तो जैसे हाथ ही
कटकर गिरे जा रहे हें, और खेत से लौटने पर सारी फौज के लिए
खाना पकाना पड़ता है।
पर इन शब्दों से ऐसी ख़ शी और उमंग टपक रही थी, जैसे कि
लड़की हाड़-हाड़ चूर कर देनेवाले काम की शिकायत नहीं, बल्कि कोई
बड़ी हंसी-ख शी को बात कह रही हो।
बढ़े ने समोवार निकाला, और सुलगाया। तांबे का समोवार
इतना पुराना था कि हरा पड़ गया था। अब यह ख़ास-ख़ास मोौक़ों पर ही
काम में लाया जाता था-साल में ऐसे ही कोई तीन-चार बार।
दोनों पुराने बेंत के पेड़ के नीचे एक साथ बैठ गये। समोवार की
नली से निकलती आवाज़ बड़ी अच्छी लग रही थी-स्वागत करती सी।
जहां-तहां बिखरी धूप बड़ी धीरे-धीरे हिल रही थी। लड़की ने चाय के
नौ प्याले पीने के बाद चेहरे पर बहते पसीने को पोंछा, फिर प्याले को
उलटा रखा, और कुतरा हुआ चीनी का टुकड़ा उस पर टिका दिया।
बढ़े ने फिर और चाय लेने के लिए हठ किया, तो लड़की ने एक प्याला
चाय और ले ली , गरमी से तमतमाये चेहरे से फिर पसीने की बूंदें चूने लगीं।
बढ़ा নীলা :
“तो, बात यह है, प्यारी, कहीं पनचक्की का बांध टूट जाता है,
कहीं पनचक्की ही बाढ़ में बह जाती है। पर जहां तक इस जगह का
सवाल है, यहां तो में ऐसे हूं, जैसे कि यीशु के हाथों ने मुझे साध रखा
हो। जाड़ा हो, गरमी हो, बसंत হী, यहां का पानी अपनी एक रफ़्तार
से बहता रहता है-एक तरह से रहता है, क्योकि यह सोते का पानी
2--2783
१७
User Reviews
No Reviews | Add Yours...