दिवाकर दिव्य ज्योति भाग 16 | Divakar Divya Jyoti Bhag 16
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तियरगति की यातनाएं ] [६
ই | उसके पेर बाँध देते है ओर फिर उसके शरीर पर लकड़ियों से
नियता पू्ैक प्रहार करते है । मारते-मारते जब पांडे की चमड़ी
खूब सूक जाती है, तब उसे मार डालते है श्रोर उस चमड़े को
शरीर पर से उतांर कर त्तत्काल ही नगाड़े पर मढ़ देते हैं । तब कही
बह नगाड़ा बोनता हैं !
इस प्रकार नगाड़ों के लिए भी पचेन्द्रिय जीवों की घात होती
है। इस कारण बहुत-से मन्दियों में तो नगाड़े बजाना बद कर दिया
याया हैं ।
एक आदसी ने नगाड़े की जोड़ी बनवाई | उसके लिए कितने
पाड़े मारे गये, यह सब हाल बनाने वाते चे सुमे वतलाया था।
बनवाने वाले का नाम भी सुमे याद् है, परन्तु उसे प्रकट करने
की आवश्यकता नहीं | यह हमारे ससार के ही गाँव की बात दहै
किन्तु जो बात एक गाँव मे है, वह अन्यत्र भो हे ।
भाइयो ! आप लोग कीड़ियों की दया पालने वाले है,किन्तु
आप नही जानते कि दिन-रातं आपके कॉम में आने वाली चीजों
के लिए हजारो पचेन्द्रिय जानवरों की हिसा हो रही है । यह चमड़े
की मुलायम चीजें केसे बनती हैं ? गर्भवती गाड़र के पेट में जोर
से लाते मारी जाती है | लात के आघात से गाड़र का गंभ गिर
जाता द शौर गभं के चसे से सुलायम सनीवेग ( बढुए ) आदि-
श्नादि चीजे तैयार होती है | कहिए, कितनी घोर हिंसा है? इस
हिंसा को दयावान् श्रावक कभी सहन कर सकता है १
आप यह न सोच ले कि हम अपने हाथ से हिंसा नहीं करते
अतएव हमें उस हिंसा का भागी नहीं बनना पड़ता । ऐसा सम-
আলা अपने को धोखा देना है.। जो लोग ऐसी. हिसामग् बस्तुओं
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