साहित्यरत्न-पथ-प्रदर्शक [खंड 2] | Sahityaratna-Path-Pradarshak [Vol. 2]
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
470
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द्वितीय पत्र -- भाषा-तविज्ञान १३
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भाषा के मानसिक, ओर भाषण दो रूप दें ओर दोनो दी में समय के परिवर्तन
के साथ-साथ परिवतततन द्वोता रहता है । जो विचार मध्य थुग में थे वे
श्राज नरह |
इसके श्रतिरिक्तं यद भी ध्यान में रखना चाहिए कि प्रस्येक मनुष्य
अपना व्यक्तित्व अलग रसता है । फलस्वरूप एक पीदी के द्वारा निश्चित की
हुई भाषा विभिन्न मनुष्यों के द्वारा व्यवहार से लाये जाने के कारण परिवर्तित
हो जाती है | किन्तु यह परिवततन पूर्ण रूप से नहीं होता अर्थात् यह सम्भव
नहीं है कि एक पीढ़ी के मनुष्य जिस भाषा का व्यवहार करते हैं वह भाषा
उस पीढी के समाप्त होने के साथ ही समाप्त हो जाय, वरन् दूसरी पीढ़ी सें जो-
परिवर्तन होता ह॑ वह बहत साधारण द्वोता है । साधारण दृष्टि से देखने पर
कोई परिचतेन प्रतीत ही नद्दी होता । इसी प्रकार एुक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी सें
भाषाः पर प्रभाव चज्ञता चला जाता हैं श्रीर सहस्नो दर्षों के पश्चात् हमे भाषा
पूर्ण परिवर्तित प्रतोत होती है। थ्राज हिन्दी भाषा का जो रूप दे वह श्रादि
प्राकृत का परम्परा से चला श्राता परिवर्तित रूप द्वी हे । इसी से यह कहा
जा सकता है कि सामाजिक वस्तु होने के कारण नई पीढ़ी भाषा का निर्माण
नहीं करती अपितु अपने पूर्वजों की भापा लेकर श्रपना कार्य चलाती जाती है
यानौ भाषा परम्परागत है ।
भाषा प्रत्येक पीढी के द्वारा निर्मित नहीं होती, पूर्व जो के द्वारा परम्परा
से प्राप्त होती दे । परन्तु इसका तात्पय यद्द नहीं कि नई पीढी को वह बिना
किसी प्रयास के ही प्राप्त हो जाती है | जिस प्रकार पुत्र को पिता की सम्पत्ति
उत्तराघिकार के रूप से मिल जाती है श्रथवा रक्त विकार जिस प्रकार पिता से
पुत्र में आ जाते हैं, उसी प्रकार पुत्र को पिता से उत्तराधिकार के पमे भाष
नहीं प्राप्त दोती । यदि कोई व्यक्ति किसी भाषा विशेष का बहुत यढ़ा विद्वान
होता है तो यह आवश्यक नही कि जन्म से द्वी उसका पुत्र उस भाषाविशेष
का वेसा दी विद्धान् हो, भ्रत्युत उसे दूसरों के संसर्ग से भाषा का ज्ञान प्राप्त
करके श्रमपूर्वक ज्ञानाजन करना पढ़ता है | यदि किसी भारतीय साता-पिता के
पुत्र का उत्पन्न होते दी विदेशी मदिच्ला के पास पालन-पोषण के जिये छोढ़-
दिया जाय त्रो वह्, उस्र पा्नन करने गाली महिला सेभापा को सीखेगा नः
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