आचार्य श्री तुलसी "जैसा मैंने समझा " | Aachary Shree Tulsi "Jaisa Maine Samjha"

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Book Image : आचार्य श्री तुलसी

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6 गया है कि दम उनकी গন को विश्वास में बदक। शो मेनन और सतीश भी दो विनोब्ा जी के कहने पर मानव मात्र पर श्रद्धा रख कर बिना वैसा खर्च किये दुनियाँ की पेदुक यात्रा कर आये। अद्धा विश्वास में परिवर्तित हो गयी । अच्छे यद्ेशओों के लिए. अद्भा की হান जरूरी है । इसके बिना मनुप्य मरक जाएगा-इुइदय উল, हो जाएग । अभी रात के नौ वे हैं। मेरे भपने दर एक संघर्ष चल হা है। ऐसे समय में इस यात्रा की घोषणा ईश्वरीय संकेत छगता है। में भी आमत्रण देकर आया हैं। अब मुझे क्या करना चाहिए ? माना कि अकेझा घना भाड नहीं फ्रोड सकता। में भी वया करूँगा ! लेकिन ~ ॥ यच्चों के लिए आज से माचार्य श्री की जीवनी लिखना शुरू. फरूँगा । आज से क्रयो--ममी से। पैसे आचाम श्री तुरुती के जीवन से संबंधित णनेकों किताबें में ने पदी हे । एक से एक बढ़कर, विद्वानों की लिखी हुईै। परतु इस से क्या? मेरी श्रद्धा है, में छिलूँगा । इस से मेरी जानकारी बढ़ेगी । और কিন মি জী স্ব देखकर कोई सहारा भी दे देता है ।-- -तो सोचना बेकार है । परमात्मा के नाम स्मरण कै साथ -- সি




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