आन्धें नैं आंख्याँ | Aandhai Aakhyan

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Aandhai Aakhyan by अन्नाराम सुदामा - Anna Ram Sudama

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ढलै डूँगर फे चट्टान थक घवायप र बपन प्लेट में ऊोंधो राख जगदीय पैला कमरे झाग खड़ी साइकल मे एक सील बटक स्यूत सावठ पूछी ठीक इया ही जिया कोई चतर नायण पीठो लागी कीं बनडी रे डोल न भ्रापरी मुलायम हथाछी सू मसठ मसद्ध बीं रो रग निखारती हुव फेर एक उडती सी निजर बी पर नाखी घिक है भ्रबार तो महीनी खण्ड सोच र पाछी ही स्टण्ड पर खड़ी कर दी 1 अरब भाँख्या मेज पर पढ़ी फंवरल्यूबारे चिलकषते चर खानी गई सात में दस बावी हा । भो दस मिष्ट में भटदेसा पालिग तो करतू पला भोद्ध तीन धण्टा पढचा है दफ्तर पूगण में कट एवं बोदो सो प्र जिके रा घणखरा रू पाणीकर सू उठये रोगी रा सा भडग्या हा पालिग री इृव्वी ऊपर सू गोरी माँय सु वाठी मसले घर री दुश्चरिमर लुगाई र काठ सो क्रीम रो माँडियो तस्कर वौपारी री बेइमानी सो वो जूतों री जोडी लेर बठग्यो चौराव रै चमार सौ । रगड़ रगड़ बाँने इसा घमकाया के चाव मूढो देवलो थाँ मे । दोना से वराधर राख बद गोर सू देखपा बन जिया कोई मोलारों दुदान मे पढ़ी मत दठे इूगर फट चट्टान / है




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